नई दिल्ली। वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कोलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सीएस कर्णन को खत लिखकर सलाह दी है कि वह अपनी गलती मानकर माफी मांग लें और मामले को जातिगत रंग न दें। उन्होंने सार्वजनिक खत में लिखा है कि वह उनसे कभी नहीं मिले लेकिन उन्हें लगता है कि वह भटक गए हैं। उन्होंने जज सीएस कर्णन को कहा कि वह ऐसा न करें क्योंकि उनके जीतने की कोई आशा नहीं है।
उन्होंने कहा कि बार के वरिष्ठ सदस्य होने के नाते वह उन्हें सलाह देना चाहते हैं कि वह ‘हर शब्द जो उन्होंने कहा है वापिस लें और विनम्र बनकर हर बेवकूफी के लिए माफी मांगे।’ जेठमलानी ने जज को उनसे मिलने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त देश में एक न्यायतंत्र ही है जो बचा हुआ है। ‘उसे कमजोर और बर्बाद न करें।’ उन्होंने कहा कि वह जो कर रहे हैं वह पिछड़ी जातियों के हितों के विरुद्ध है। उल्लेखनीय है कि 23 जनवरी को न्यायमूर्ति सीएस कर्णन ने प्रधानमंत्री को चिट्टी लिखकर उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के वर्तमान 20 न्यायाधीशों की सूची भेजी थी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी।
उच्चतम न्यायालय ने इस पर संज्ञान लेते हुए उन्हें अवमानना नोटिस जारी किया था। पेश न होने की स्थिति में उच्चतम न्यायालय की 7 न्यायाधीशों की पीठ ने पहली बार उच्च न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश के खिलाफ वारंट जारी किया था। सीएस कर्णन को 31 मार्च को उच्चतम न्यायालय में पेश होने के आदेश दिए गए थे। कोलकाता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों पर आरोप लगाते हुए कहा कि दलित होने के कारण के उन्हें काम करने से रोका जा रहा है। यह जातिगत मामला है और अत्याचार है।