नई दिल्ली । केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि ने गुरूवार को कहा कि आज जरूरत हैं कि आपदा प्रबंधन की जगह आपदा न्यूनीकरण पर ध्यान दिया जाए और प्राकृतिक आपदाओं का डटकर मुकाबला किया जाए न कि उन्हें अपनी तघ्दीर समझकर स्वीकार कर लिया जाए। जोखिम प्रशासन में निवेश विषय पर आयोजित एक कार्यशाला में श्री महर्षि ने कहा कि आज लोगों को भविष्य के खतरों और संभावित आपदाओं के प्रति संवेदनशील बनाने की घ्रूरत हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में स्थानीय निकाय काफी कमघेर हैं और उन्हें राज्यो सरकारों की तरफ से ज्याद से ज्याद मदद मिलनी चाहिए ताकि वे स्थानीय लोगों के साथ मिलकर भूकंप, बाघ् और सुनामी जैसी आपदाओं की स्थिति में एक ऐसी व्यवस्था बनाएं कि जान-माल का कम से कम नुकसान हो।
गृह सचिव ने कहा कि इंजीनियर और आर्किटेक्ट की जिम्मेवारी बनती हैं कि वे ऐसे भवनों और इमारतों का निर्माण कराएं जिससे आपदाओं की सूरत में उन्हें कम से कम नुकसान हो। उन्होंने सुझाव दिया कि हाउसिंग सोसायटी बनाते वक्त बेशक 100 की जगह 80 मकान बनाए जाएं पर वे मजबूत होने चाहिए ताकि आपदा आने पर जान-माल का कम से कम नुकसान हो। उन्होंने कहा, यह अच्छी बात हैं कि हमारे देश में पिछले कई दशको में सूखे ने अकाल का रूप नहीं लिया वरना उससे निबटने के लिए हमारे पास पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं थे।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में भवन निर्माण संबंधी उप-कानून भी सख्त तरीके से नहीं लागू होते और कई गैरकानूनी निर्माण कुकरमुत्ते के सामान बघ्ते जा रहे हैं जिसके फलस्वरूप आपदाओ कि स्थिति में जान माल की भारी हानि होती हैं पर अब समय आ गया हैं कि अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाया जाए।