Rishikesh Nagar Nigma shop
ऋषिकेश। Rishikesh Nagar Nigma shop नगर निगम से अनुमति के बगैर घाट रोड स्थित दुकानों का स्वरूप ही बदल दिया गया है। पिछले 15 साल से अफसरों ने इस अनियमितता पर कोई रोकटोक नहीं लगाई। अब अवैध दुकानों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू हुई तो निगम के कर्मचारी रिकार्ड दबाने में जुट गए हैं।
पिछले तीन दिनों से टैक्स एंड रेवेन्यू सुपरिंटेंडेंट कार्यालय से फाइल तलब की जा रही है लेकिन अब तक उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है। हालात यह हैं कि पिछले 15 सालों में निगम की दुकानों का निजी संपत्ति की तरह स्वरूप बदलकर उपयोग किया जा रहा है। इसके बावजूद जिम्मेदार अफसरों ने कोई रोकटोक नहीं लगाई।
इसका पुख्ता नजारा घाट रोड पर दिखता है। यहां दुकानों को मनमाने तरीके से तोड़कर दो मंजिला बना लिया गया। जांच में पता चला है कि निगम की दुकानों को कई कर्मचारियों ने अपनी मां या नजदीकी परिजनों के नाम पर करवा लिया है। इतना ही नहीं आवंटन होने के बाद बस अड्डा क्षेत्र में कुछ दुकानें मोटी रकम में बेच देने का मामला भी प्रकाश में आया है।
निगम कर्मचारी सेवा में रहते दुकान का आवंटन नहीं करा सकता
मुख्य नगर आयुक्त प्रेमलाल के मुताबिक कोई भी निगम कर्मचारी सेवा में रहते दुकान का आवंटन नहीं करा सकता है। कुछ कर्मचारियों से जानकारी ली गई तो पता चला कि नियम 15 के तहत प्रावधान है कि सेवा में रहते कोई भी निगम कर्मी अपने रक्त संबंधों या खुद किसी दुकान को आवंटित नहीं करा सकता।
उन्होंने बताया कि 2014 के शासनादेश के मुताबिक सर्किल रेट के हिसाब से किराया न देने वाले दुकानदारों को सोमवार को नोटिस जारी किए जाएंगे। निगम में गड़बड़ियां यहीं खत्म नहीं हुई। यहां सरकारी आवासों का उपयोग भी निजी संपत्ति के तौर पर हो रहा है। करीब 12 क्वार्टर ऐसे हैं जिनमें सेवानिवृत्त कर्मचारी सालों से अड्डा जमाए हुए हैं।
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