अभिमान या घमंड इंसान का शत्रु

Ghamand
अभिमान या Ghamand insan ka satru

दोस्तों, अभिमान या घमंड इंसान का शत्रु है। गर्व और घमंड दोनों में बहुत अंतर होता है। “मैं कर सकता हूं”- यह गर्व है लेकिन “सिर्फ मैं ही कर सकता हूं”- यह घमंड है। तो हमें घमंड नहीं गर्व करना चाहिए, क्योकि भगवान एक न एक दिन Ghamand तोड़ ही देता है।

दोस्तों आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं जिसमें एक घमंडी का घमंड टूटता नजर आएगा। स्कूल में एक बच्चा था अनुराग साहनी। बड़ा होनहार। क्लास टीचर उसे अपने बेटे की तरह मानती थी। इकलौती संतान होने के कारण घर में सभी उसे बहुत प्यार करते थे। अनुराग को लगा कि वह स्कूल में सबसे आगे है।

अपने पीछे उसे कोई दूर-दूर तक नहीं दिखाई देता। उसे अपने ऊपर घमंड होने लगा, उसे लगता था कि वह अब अध्यापकों से ज्यादा जानकार हो गया है। वह बात-बात पर अपने गुरुजी की बातों का विरोध करने लगा। अपने पास किसी को बैठने नहीं देता था। घरवाले और गुरुजन उसके इस बदले रूप को देखकर काफी चकित थे। अगले सत्र में उसका सामना अपने जैसे एक तेज छात्र अभिषेक शर्मा से हुआ। अभिषेक शुरू से ही काफी गंभीर था।

गुरुजन व मित्र परीक्षा परिणाम को लेकर काफी रोमांचित थे

वह अपने ज्ञान को दोस्तों से शेयर करना चाहता था, मगर अनुराग ऐसा नहीं करता था। दोनों के लिए परीक्षा किसी मुकाबले की तरह ही थी। दोनों को अपने ऊपर पूरा भरोसा था। गुरुजन और मित्र भी परीक्षा परिणाम को लेकर काफी रोमांचित थे। जब परीक्षा के नतीजे आए, तो अभिषेक अव्वल रहा।




सभी दोस्त बहुत खुश थे, मगर जब अभिषेक ने देखा कि उसका दोस्त रो रहा है, तो वह अपनी खुशी भूल गया और मित्र को समझाने लगा। इससे अनुराग शर्मिंदा हुआ, इसके बाद उसने गुरु और मित्रों से अपने बुरे व्यवहार के लिए माफी  मांगी और जीवन में कभी ऐसा ना करने का वचन दिया। ये छोटी सी कहानी भले ही बालपन से जुडी है लेकिन इससे हम बड़े भी सीख ले सकते हैं।

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