ईश्वर में हो सच्ची श्रद्धा और विश्वास

Believe in God
ईश्वर में हो सच्ची श्रद्धा Believe in God

Believe in God नरेश नाम का एक किसान एक संपूर्ण घाटी में अकेला रहता था। उसके दो लड़के थे। एक नीची पहाड़ी की चोटी पर उसका मकान स्थित था। वह खेती करता था और उसे भूमि के लिए एक ही चीज की आवश्यकता थी बारिश या केवल बौछार की। एक दिन सुबह उठकर वह आसमान की ओर देखने लगा और भगवान से प्रार्थना करने लगा की वर्षा हो जाए।

अचानक वर्षा की छोटी-छोटी बूंदें  टपकने लगी। नरेश की खुशी का कोई अंदाजा न था। अचानक तेज हवा चलने लगी और  बड़े-बड़े ओले गिरने लगे। वास्तव में यह नए चांदी के सिक्के जैसे लग रहे थे। वह अचानक चिल्लाने लगा और वास्तव में बुरा हो रहा  था। कुछ समय पश्चात संपूर्ण खेत सफेद हो गया। मानो नमक से ढक गया हो। जब ओलावृष्टि रुक गई तो नरेश ने आसमान की और देखा और कहने लगा।  वह बोलने लगा -हमारी सारी मेहनत बेकार गई। हम इस वर्ष भूखे रहेंगे।




नरेश रातभर ईश्वर की सहायता के बारे में सोचता रहा। वह कहता कि ईश्वर की आंखें हर चीज दिखती है यहां तक कि किसी के अंतकरण में  भी। अगले रविवार को नरेश ने पत्र लिखना शुरू किया, जिसको वह स्वयं कस्बे में ले गया और डाक में डाल दिया। उसने लिखा ईश्वर यदि आप मेरी सहायता नहीं करते तो मेरा परिवार और मैं इस वर्ष भूखे रहेंगे, मुझे 5000 की आवश्यकता है, जिससे मैं अपने खेत में बुवाई कर सकूं।

लिफाफे में लिखा सेवा में ईश्वर को

उसने लिफाफे में लिखा सेवा में ईश्वर को, पत्र को लिफाफे में रखा और परेशानी की हालत में ही वह कस्बे में गया। डाकखाने में उसने पत्र पर डाक टिकट लगाया और पत्र को पत्र पेटिका में डाल दिया कर्मचारियों में से एक व्यक्ति जो एक डाकिया था और डाकघर में भी सहायता करता था। खूब खुलकर हंसते हुए अपने अधिकारी के पास गया और उसने ईश्वर के नाम पत्र दिखाया ।

पोस्टमास्टर अच्छे स्वभाव का व्यक्ति था। वह भी जोर से हंसा, पर शीघ्र ही वह गंभीर हो गया और उसने  डेस्क पर पत्र को धीरे से रखते हुए बोला -इतना विश्वास काश मेरे मन में भी  होता जितना इस आदमी का विश्वास  है, जिसने यह पत्र लिखा। ईश्वर के साथ पत्र व्यवहार शुरू किया। अतः इस उद्देश्य से की कि पत्र लेखक का ईश्वर में विश्वास ( Believe in God ) ना डगमगाए, पोस्ट मास्टर के मन में एक विचार आया। उसने पत्र का उत्तर दिया यह स्पष्ट था कि पत्रिका उत्तर देने के लिए सद्भावना स्याही और कागज के साथ कुछ और भी चाहिए और वह अपने संकल्प पर दृढ़ रहा।




उसने अपने कर्मचारियों से पैसा मांगा। उसने स्वयं अपने वेतन का कुछ भाग दिया और उसके बहुत से मित्रगण इस परोपकार में आभारी बने। उसके लिए 5000 एकत्रित करना असंभव था। उसने लिफाफे में ₹4000 रखे और लिफाफे को नरेश के पते पर ईश्वर के हस्ताक्षर के रूप में केवल एक शब्द ईश्वर लिखा। अगले रविवार को नरेश के घर डाकिया गया और   उसे खत दिया। नरेश ने धनराशि देखी तो उसका भगवान पर विश्वास दुगुना हो गया।

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