किसी भी देश के प्रधानमंत्री को 5 साल का कारावास होना अपने आप में एक बहुत बड़ी खबर है, खासकर भारत के लिए। लेकिन वहीं थाईलैंड की अदालत ने खारिज प्रधानमंत्री यांग लिक शिनावात्रा को उनकी गैरमौजूदगी में 5 साल कैद की सजा सुना दी है। पूर्व थाई प्रधानमंत्री को यह सजा चावल पर सब्सिडी घाटे में चलने प्रोग्राम में लापवाही बरतने पर सुनाई गई है।
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समाचार एजेंसी ‘एपी’ के अनुसार यिंग्लक शिनावात्रा के तरफ से, जिन्होंने उन इलजाम को राजनीतिक करार दिया, माना जा रहा है वह पिछले महीने अदालत में पेश होने के बजाय देश से फरार हो गए थी। याद रखें कि 2014 में गंभीर संकट के बाद, थाई सेना ने सरकार पर कब्जा करके उखाड़ फेंक दिया और सार्वजनिक सभाओं पर पबंदी लगाते हुये राजनेताओं को हिरासत में ले लिया था।
यिंग्लक शिनावात्रा और उनके समर्थकों का कहना था कि वह बेगुनाह हैं और उन्हें, उनके भाई और पूर्व प्रधानमंत्री थस्कीन शिनावात्रा के राजनीतिक कैरियर को खत्म करने की कोशिश के रूप में निशाना बनाया जा रहा है। थस्कीन शिनावात्रा को सेना ने पद का दुरुपयोग, भ्रष्टाचार और देश की बदहाली के इलजाम के बाद 2006 में सत्ता से हटा दिया था। तस्कान शिनावात्रा ने सजा से बचने के लिए खुद निर्वासित निर्वासन हो गये थे।
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यिंग्लक शिनावात्रा जिन्होंने देश का नेतृत्व भाई की विरासत में मिला और 2011 में थाईलैंड की प्रधानमंत्री चूनी गई, उनके विरोधियों ने उन निशाना साधना शुरू कर दिया था। चावल सब्सिडी योजना वह फ्लैगशिप नीति थी जिसने यांग लिक शिनावात्रा की ‘फयू थाई पार्टी’ को 2011 के आम चुनाव में सफलता के लिए मदद की। इस योजना के तहत सरकार चावल उगाने वाले किसानों को बाजार की मूल्यों से 50 प्रतिशत भुगतान करती थी।
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