अवैध खनन मामले में न्यायालय के कड़े रुख के बावजूद राजभवन क्यों बना है मूकदर्शक : मोर्चा

Why has Raj Bhavan become a mute spectator?
पत्रकार वार्ता के दौरान मोर्चा पदाधिकारी।

विकासनगर। Why has Raj Bhavan become a mute spectator? जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय अवैध खनन/राजस्व लूट/दिन के उजाले में नदियों में भारी मशीनरी के प्रयोग आदि मामले में कई बार सरकार को फटकार चुका है, लेकिन राजभवन की खामोशी इस बात को दर्शाती है कि राजभवन की मौन सहमति सरकार के इस काले कारोबार को है।

आज तक भी राजभवन द्वारा मा. न्यायालय के आदेशों के आलोक में एक शब्द तक सरकार के खिलाफ नहीं बोला गया और न ही अधिकारियों को न्यायालय के आदेशों की अनुपालना कराने के कोई निर्देश दिए गए द्य सरकार इस मामले में कार्यवाही करना तो दूर एक शब्द भी इन माफियाओं के खिलाफ नहीं सुनना चाहती। ऐसा प्रतीत होता है कि राजभवन सिर्फ और सिर्फ ऐशगाह बनकर रह गया है तथा सरकार के आगे नतमस्तक हो गया है।

राजभवन की खामोशी के चलते प्रदेश में माफियाराज कायम हो गया है तथा हजारों करोड़ राजस्व की हानि प्रतिवर्ष हो रही है। आज सरकार 1025 करोड रुपए के राजस्व की बात कर रही है, जबकि सरकार को प्रतिवर्ष लगभग 8-10 हजार हजार करोड़ का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए।

नेगी ने कहा कि अवैध खनन मामले में हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के वक्तव्य पर ही राजभवन संज्ञान ले सकता था, लेकिन राज भवन सरकार की कठपुतली बन कर रह गया है।

हालात यह हैं कि प्रदेश में भर में पूरी रात अवैध खनन का कारोबार चलता है तथा पूरी रात सड़कों पर खनिज सामग्री से भरे वाहनों का तांडव रहता है, जिसकी वजह से लोगों की रातों की नींद हराम हो गई है द्यमोर्चा ही अवैध खनन को लेकर कई वर्षों से मुखर है। विपक्ष इस मामले में सिर्फ इको फ्रेंडली मैच खेल रहा है। पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार व दिलबाग सिंह मौजूद थे।

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