UPCL kept silent on outstanding 80 crores
देहरादून। UPCL kept silent on outstanding 80 crores अनलॉक-5 शुरू होते ही उत्तराखण्ड पाॅवर कारपोरेशन के कर्मचारियों ने 10 हजार से अधिक के बकायादारों के कनेक्शन काटने का अभियान चला दिया है। मगर क्रिएट एनर्जी प्राइवेट लि0 पर 80 करोड़ का बकाया होने के बावजूद भी विभाग खामौश है।
कोरोना माहमारी से त्रास्त आमजनमानस पर 10 हजार रूपये भी नही छोड़ने वाले विभाग का 80 करोड़ के बकाया पर आंखे बंद कर लेना कई सवाल खड़े करता है।
इसी मामले को लेकर महानगर कांग्रेस अध्यक्ष लालचन्द शर्मा ने ऊर्जा सचिव को पत्र लिखकर पाॅवर कारपोरेशन मे हुए घोटाले में अभी तक कार्रवाई न किये जाने पर असंतोष जताया है।
ऊर्जा सचिव को लिखे पत्र में लालचन्द शर्मा ने कहा कि उत्तराखण्ड पाॅवर कारपोरेशन लि की और से मै. क्रिएट एनर्जी प्राइवेट लि. से हुए अनुबन्ध के माध्यम से वर्ष 2017 से अब तक अतिरित्त बिजली बेची गई है।
उत्तराखण्ड पाॅवर कारपोरेशन व मै. क्रिएट एनर्जी प्राइवेट लि. के बीच एक वर्ष के लिए हुए अनुबन्ध के अनुसार बेची गई अतिरिक्त बिजली की ध्नराशि का भुगतान मिलने के बाद भी कम्पनी ने उत्तराखण्ड पाॅवर कारपोरेशन लि. के पास ध्नराशि जमा नहीं कराई।
बेची गई बिजली का भुगतान नहीं किया जा रहा
एक वर्ष का अनुबन्ध समाप्त होने के बाद भी क्रिएट एनर्जी प्राइवेट लि. से लगातार अनुबन्ध किया गया। क्रिएट एनर्जी प्राइवेट लि. की और से निरंतर अतिरिक्त बिजली बेची जा रही है, मगर विभाग को बेची गई बिजली का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
जबकि अनुबन्ध की शर्तों में स्पष्ट है कि कम्पनी द्वारा बिजली बेचने के तीन दिन के भीतर उत्तराखण्ड पाॅवर काॅरपोरेशन को धनराशि का भुगतान करना होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि क्रिएट एनर्जी प्राइवेट लि. के साथ लगातार 4 वर्ष तक हुए अनुबन्ध के बाद उत्तराखण्ड पाॅवर कारपोरेशन की लगभग 80 करोड़ का बकाया भुगतान अवशेष है।
विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहे अनुबन्ध् के इस खेल में भारी घोटाले की बू आ रही है जिसकी जांच कराया जाना नितांत आवश्यक है।
इससे ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तराखण्ड पाॅवर कारपोरेशन लि. के उच्चाधिकारियों व शासन में बैठे उच्चाधिकारियों की क्रिएट एनर्जी प्राइवेट लि. से सांठ-गांठ का खामियाजा उत्तराखण्ड प्रदेश की जनता को अपने घरेलू बिजली के बिलों को चुका कर भुगतना पड रहा है।
विगत लगभग 7 माह से वैश्विक महामारी कोरोना के कारण विद्युत की खपत में काफी गिरावट आई है, कम्पनी की और से अधिक बिजली बेची गई है। कम्पनी द्वारा बेची गई बिजली का भुगतान यदि समय पर विभाग को होता तो निश्चित रूप से राज्य के उपभोम्ताओं को राहत मिलती, उन्हें कम दरों पर विद्युत बिलों का भुगतान करना पड़ता।
भारी घोटाले को अंजाम दिया जा रहा
उत्तराखण्ड पाॅवर कारपोरेशन लि. द्वारा विभिन्न जनपदों में दी जा रही निविदाओं में भी भारी घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है। एबीबी इण्डिया लि. को मानकों के विपरीत एक ही कम्पनी को सप्लाई का आर्डर देकर करोड़ों रूपये के घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है जिसकी उच्च स्तरीय जांच होनी अति आवश्यक है।
उत्तराखण्ड पाॅवर कारपोरेशन लि. में हुए 80 करोड़ के घोटाले के विरोध में महानगर के कांग्रेसजनों ने विरोध व्यक्त करते हुए घोटाले की सीबीआई जांच कराये जाने के साथ ही घोटाले में शामिल अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई करने के साथ ही मै. क्रिएट एनर्जी प्राइवेट लि. तथा एबीबी इण्डिया लि. को काली सूची में डाले की मांग की गई थी, मगर इस संदर्भ में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
उन्होंने ऊर्जा सचिव से आग्रह किया कि उत्तराखण्ड पाॅवर कारपोरेशन व मै. क्रिएट एनर्जी प्राइवेट लि. के बीच हुए अनुबन्ध तथा एबीबी इण्डिया लि. के साथ किये गये अनुबन्ध की सीबीआई से जांच करवाई जाय तथा विभाग की बकाया धनराशि को विभाग में जमा कराने के साथ ही मिलीभगत करने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाये।
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