सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का सम्मान, वाराणसी में दंगे की स्थिति नहीं

वाराणसी। केन्द्र सरकार के पांच सौ और एक हजार के पुराने नोट बन्दी के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और जस्टिस अनिल आर दवे की पीठ के टिप्पणी को विधि विशेषज्ञों से लेकर व्यापारी नेताओं, साहित्यकारों और उद्यमियों ने मर्यादाहीन और गैर जिम्मेदार बताया है। कहा है कि निश्चित तौर पर नोट बदलवाने और जमा करने के लिए पिछले दस दिनों से देशभर में हाय तौबा धक्कामुक्की छिटपुट मारपीट हो रही है, लेकिन दंगे जैसी स्थिति कही नहीं है।

शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और जस्टिस अनिल आर दवे की पीठ के टिप्पणी को लेकर नगर के विधि विशेषज्ञों व्यापारी नेताओं और शहर के बड़े उद्यमियों का मन टटोला तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष पद पर बैठे न्यायमूर्ति को अपने शब्दों पर ध्यान देनी चाहिए। कहा कि निश्चित तौर पर देश भर में लोगों को बड़े नोटों के बन्द होने से परेशानी है लेकिन दंगे जैसे हालात नहीं है। रामनगर इंस्ट्रियल एसोसियेशन के अध्यक्ष और उद्यमी आर.के. जैन ने कहा कि बड़े नोटों के बन्द होने से व्यापार और उद्योग प्रभावित हो रहा है लोग और व्यापारी परेशान है लेकिन दंगे जैसी स्थिति नहीं है। सरकार सिर्फ नये करेन्सी का प्रवाह ठीक ढंग से कर दे तो अपने आप समस्या का समाधान निकल जायेगा। पूर्वांचल में सबसे बड़ा अधिवक्ताओं का प्रतिष्ठित संगठन दी सेन्ट्रल बार एसोसियेशन के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद पाठक ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के चीपफ जस्टिस का सम्मान है, लेकिन उनकी टिप्पणी पद के मर्यादा के अनुरूप नहीं है। समाज में बड़े नोटों के चलन बन्द होने के बावजूद सब कुछ सामान्य चल रहा है। पेट्रोल पम्प सरकारी महकमे और बैंको में नोट चल रहा है। कहीं विद्रोह की स्थिति नहीं है। लोगों को परेशानी और दिक्कते हैं लेकिन मानते हैं कि सरकार का फैसला सही है।

यूपी बार काउन्सिल के सदस्य हाईकोर्ट के अधिवक्ता अरूण त्रिपाठी ने कहा कि निश्चित तौर पर देश में नोटबन्दी के फैसले से लोगों को गम्भीर परेशानी हो रही है। सरकार ने इसको लेकर सही एक्सरसाइज नहीं किया है, लेकिन दंगा जैसी स्थिति कही नहीं है। लोगों को शादी विवाह में भी दिक्कते हो रही हैं लेकिन समाज में लोग मिलजुल कर इस स्थिति का सामना कर रहे हैं। ऐसी स्थिति कापफी समय बाद देख्ज्ञने को मिल रही है। सेन्ट्रल बार एसोसियेशन के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार राम अवतार पाण्डेय ने कहा कि ऐसा गैर जिम्मेदार टिप्पणी चीपफ जस्टिस पद पर बैठे व्यक्ति को शोभा नहीं देता। उनके पास क्या आधार है जो उन्हें दंगे की स्थिति दिखती है। लोगों को परेशानी हो रही है, लेकिन स्वयं लोग विपक्षी दलों और पूर्वाग्रह से ग्रसित लोगांे को छोड़कर इसे सही कदम बता रहे है। कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस टिप्पणी से जरूर असर पड़ सकता है। बनारस बार एसोसियेशन के महामंत्री नित्यानन्द राय ने भी कहा कि चीपफ जस्टिस को ऐसे टिप्पणी से बचना चाहिए। उनके पास संविधान प्रदत्त अधिकार प्राप्त है उसका इस्तेमाल करना चाहिए था। देश में कहीं भी ऐसे हालात नहीं है।

शहर के युवा उद्यमी किशन जालान ने कहा कि थोड़ी परेशानी जरूर है, लेकिन दंगे की स्थिति पिफलहाल शहर में नहीं दिखती। ग्रामीण अंचल में सरकार को ध्यान देने की जरूरत है माना कि आठ दस दिन में हालात सामान्य हो जायेगा। बताया कि अपने जालान्स ग्रुप के सभी शाखाओं में एटीएम की सुविधा डेविट और क्रेडिट कार्ड पर नोट दिया जा रहा है। व्यापारी नेता मोहन लाल सरावगी ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश को जनता के नब्ज की समझ नहीं है। उन्हें याचिकाकर्ताओं ने गुमराह किया है। देश में दंगे का आसार कही नहीं है। सरकार को थोड़ा ध्यान देना होगा कि नोटांे का प्रवाह बना रहे। वहीं व्यापारी नेता अजित सिंह बग्गा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने जो आशंका जतायी है वह ठीक है। पूरा देश दिनभर बैंकों के बाहर लाइन में खड़ा है। जिनके यहां शादी व्याह है या परिजन अस्पताल में है उनका हालत ख्ज्ञस्ता है। बड़े नोटों के बन्द होने से उद्योग धंधों के साथ व्यापार भी ठप्प हो गया है।