हल्द्वानी के बनभूलपुरा अतिक्रमण मामले पर सुप्रीम रोक

Supreme Court ban on Banbhoolpura encroachment case

Supreme Court ban on Banbhoolpura encroachment case

हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने किया प्रतिबंधित  
राज्य सरकार व रेलवे को जारी किया नोटिस
मामले में अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी
प्रभावितों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई खुशी

देहरादून। Supreme Court ban on Banbhoolpura encroachment case बनभूलपुरा रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले और बुलडोजर की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। करीब आधे घंटे चली बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।

साथ ही मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और रेलवे को भी नोटिस भी जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी। वनभूलपुरा रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद स्थानीय लोगों में खुशी की लहर है। स्थानीय लोगों ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा किया है।

लोगों का कहना है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से काफी उम्मीदें थी। सुप्रीम कोर्ट ने मानवता को देखते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई है। उन्होंने कहा ये फैसला वनभूलपुरा की आम जनता की जीत है। उन्होंने कहा अपनी जीत के लिए पिछले कई दिनों से वे ऊपर वाले से दुआ कर रहे थे।

आज उनकी दुआ काम आई है। सुप्रीम कोर्ट से राहत के बाद लोगों ने एक दूसरे को बधाई देते हुए कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ मिला है। उन्होंने कहा इसकी लड़ाई आगे भी लड़ी जानी है।

लोगों ने कहा जो लोग सुप्रीम कोर्ट में आम जनता के लिए पैरवी कर रहे हैं वो यहां के लोगों के लिए मसीहा हैं। उन्होंने कहा अगर सुप्रीम कोर्ट से फैसला उनके पक्ष में नहीं आता तो यहां के हजारों लोगों के आशियाने उजड़ जाते। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी को स्वागत करना चाहिए।

हम किसी भी पुनर्वास के आड़े नहीं आ रहे

बता दें सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जे कौल ने कहा हमें इस मामले का एक व्यावहारिक समाधान खोजना होगा। इस मामले में कई कोण हैं, भूमि की प्रकृति, प्रदत्त अधिकारों की प्रकृति इन पर विचार करना होगा।

हमने यह कहकर शुरू किया कि हम आपकी ज़रूरत को समझते हैं लेकिन उस ज़रूरत को कैसे पूरा करें। इस पर एएसजी ने कहा कि हमने उचित प्रक्रिया का पालन किया है। इस पर न्यायाधीश कौल ने कहा कि कोई उपाय खोजना होगा।

एएसजी ने कहा कि हम किसी भी पुनर्वास के आड़े नहीं आ रहे हैं। जे कौल का कहना है कि जो लोग इतने सालों से रुके हुए हैं, उनके लिए कुछ पुनर्वास योजना होनी चाहिए। इस मामले में उन्होंने राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रातों-रात 50 हजार लोगों को उजाड़ा नहीं जा सकता, ऐसे लोगों का हटाया जाना चाहिए जिनका भूमि पर कोई अधिकार नहीं है और रेलवे की आवश्यकता को पहचानते हुए उन लोगों के पुनर्वास की आवश्यकता है।

कोर्ट के अनुसार ही होगी कार्रवाईः धामी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सीएम धामी का बयान भी सामने आया है। सीएम धामी ने कहा हमने पहले भी कहा है कि यह रेलवे की जमीन है। हम कोर्ट के आदेश के अनुसार ही आगे बढ़ेंगे।

चार हजार से अधिक घरों पर होनी है कार्रवाई

नैनीताल जिले के हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर करीब चार हजार से ज्यादा घर बने हुए है। जिन्हें हटाने के लिए रेलवे ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने आदेश में रेलवे को इन घरों को खाली कराने का आदेश दिया था।

रेलवे ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रणकारियों को सार्वजनिक नोटिस जारी किया था। इसमें हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से 2.19 किमी दूर तक अतिक्रमण हटाया जाना है। खुद अतिक्रमण हटाने के लिए सात दिन का समय दिया गया था।

रेलवे की तरफ से जारी नोटिस में कहा गया था कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन 82.900 किमी से 87.710 किमी के बीच रेलवे की भूमि पर सभी अनाधिकृत कब्जों को तोड़ा जाएगा। सात दिन के अंदिर अतिक्रमकारी खुद अपना कब्जा हटा लें, वरना हाईकोर्ट के आदेशानुसार अतिक्रमण को तोड़ा दिया जाएगा।

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