मोहब्बत के पैगाम से नफरतों को मिटाना होगा : डॉ. फारूक

Seerat-un-Nabi Jalsa organized in Tasmiya

Seerat-un-Nabi Jalsa organized in Tasmiya

मानवता के संदेशवाहक पैगंबर साहब की शिक्षाओं को आत्मसात करने की जरूरत
तस्मिया में सीरत-उन-नबी का जलसा आयोजित

देहरादून। Seerat-un-Nabi Jalsa organized in Tasmiya दुनिया से नफरत को समाप्त करने के लिये मुहब्बत के पैगाम को आम करना होगा, मानवता के संदेशवाहक पैगंबर मुहम्मद साहब की शिक्षाओं को आत्मसात करने के साथ-साथ उनका प्रचार-प्रसार भी करना होगा।

यह बात मंगलवार को सीरत-उन-नबी कमेटी की और से तस्मिया अकादमी टर्नर रोड पर आयोजित जलसे को संबोधित करते हुए डॉ. एस फारूक ने कही। उन्होने कहा कि मां-बाप का आदर करना हम सब का दायित्व है। नफरत को मिटाने के लिये मुहम्मद साहब के पैगाम को आम करना होगा।

इस मौके पर मुफ्ति वसीउल्लाह ने पैगंबर साहब की शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि सारे इंसान आपस में भाई-भाई है, अपने पड़ोसी के साथ अच्छा सुलूक किया करों, यही शिक्षा मुहम्मद साहब ने दी है। इस अवसर पर काजी दारूल कजा मुफ्ति सलीम अहमद कासमी ने तौबा करने के महत्व पर रोशनी डाली।

मुफ्ति जियाउल हक ने आखरी खुतबा सुनाया। शिया मस्जिद के इमाम मौलाना शहंशाह आलम ने मुहम्मद साहब के जीवन को अपनी जिन्दगी में शामिल करने पर जोर दिया।

कारी एहसान की तिलावत से जलसे का आगाज हुआ, संचालन मौलाना रिसालुद्दीन हक्कानी व दुआ शहर काजी मौलाना मौहम्मद अहमद कासमी ने कराई। इस मौके पर मौलाना अकबर कासमी, सय्यद फरर्ख अहमद, सय्यद यासर, प्रधान अब्दुल रज्जाक, कारी रागिब व मुफ्ति ताहिर कासमी आदि मौजूद रहे।

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