दरकार है रोजगार की सही नीति बनाने की

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दरकार है रोजगार की सही नीति बनाने की Rojgar niti
हिना आज़मी

rojgar niti देश आजाद होने के बाद कितनी सरकार बनी और कितने ही काम किए  गये, लेकिन बेरोजगारी की समस्याओं का समाधान कोई सरकार ठीक से नहीं कर पाई। नीतियाँ तो हजारों बनी लेकिन इन पर सही तरीके से अमल नहीं किया गया, इसलिए आज भी देश बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है। देश में बेरोजगारी चरम पर है, जिस वजह से कई युवा आत्महत्या करते हैं या अपराध, संगीन जुर्म करने लगते हैं, और गलत रास्ते को चुनने पर मजबूर हो जाते हैं।

रोजगार नहीं है, तो पैसा नहीं है, पैसा नहीं है, तो जरूरतें पूरी नहीं होंगी और जरूरतें पूरी करने के लिए पैसा चाहिए। अगर नौकरी नहीं तो किसी भी तरीके से युवा पैसा कमाने की कोशिश करते हैं, चाहे गलत तरीका क्यों ना हो। आज युवा वर्षों तक लाखों रुपए खर्च करके पढ़ाई करते हैं और जब नौकरी की बात आती है,  तो वह दर – दर ठोकर खाते हुए नजर आते हैं।

देश में अभी तक रोजगार को बढ़ाने  के लिए कोई ठोस नीति (rojgar niti) बनाने का प्रयास नहीं किए गया,  सिर्फ वादे किए जाते हैं कि रोजगार देंगे, हमारी सरकार आएंगी  तो रोजगार मिलेगा, बेरोजगारी दूर होगी। आखिर क्यों और किस  कारण यह समस्या दिन पर दिन और बढ़ती जा रही हैं ? और अगर अभी इस समस्या की ओर गंभीरता से विचार नहीं किया गया और इसका हल नहीं ढूंढा गया, तो आने वाले समय में यह विकराल रूप धारण कर लेगी और समाज को अपराध ,भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं ही देंगी। तब उस समस्या से निपटने के लिए कोई रास्ता नहीं बचेगा।

ना तो आत्महत्या और  न अपराध रुक रहे

सरकार को चाहिए कि बेरोजगारी के मुद्दे पर गंभीर अध्ययन कर एक ऐसी नीति बनाई जाए, जिससे इस समस्या को जड़ से उखाड़ फेंका जा सके या कम से कम कुछ हद तक तो इस पर काबू पाया जा सके और  जिससे युवा अपराध के रास्ते पर ना जाएं और आत्महत्या ना करें।

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सरकार आत्महत्या और अपराधों के बढ़ते ग्राफों  पर चिंता तो व्यक्त कर रही है , लेकिन इनके मूल कारणों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है,  जिसका परिणाम है कि ना तो आत्महत्या और  न अपराध रुक रहे हैं, और ना ही सरकार की चिंता रुक रही है। सरकार की चिंता अगर जनसंख्या बढ़ने को बेरोजगारी का कारण मान कर पल्ला झाड़ ले तो यह बिल्कुल गलत होगा, क्योंकि जनसंख्या बढ़ने के साथ आवश्यकताएं भी बढ़ रही हैं और इन आवष्यकताओं की पूर्ति के लिए कई संसाधनों की जरूरत पड़ती है।

अगर इस पर गंभीरता से कार्य किया जाए तो, नई शक्तियां खुलेगी और बेरोजगार को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा भी कई रास्ते हैं जिन पर सही तरीके से चला जाए तो देश की सबसे बड़ी समस्या से आसानी से निपटा जा सकता है।  बताए  तो,  सही दृष्टिकोण और ईमानदार नेता या  अधिकारी रोजगार के लिए कभी भी कोई सार्थक प्रयास देखने को नहीं मिलते। ऐसे में निराश युआ  या तो पलायन कर अन्य स्थानों की ओर जाते हैं , या बेरोजगार घूमते रहते हैं और कुछ आत्महत्या करते हैं या फिर गलत रास्ते पर चले जाते हैं और अपराधी बन जाते हैं।

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