जरूरतमंदों को कृत्रिम अंग ( Prosthesis ) निशुल्क उपलब्ध कराया
देहरादून । मैक्स इंडिया फाउंडेशन ने मानव सेवा समिति और रैफेल सेंटर के सहयोग से देहरादून में आज से चार दिवसीय कृत्रिम अंग ( Prosthesis ) एवं पोलियो कैलिपर्स निशुल्क शिविर का शुभारंभ किया। यह शिविर देहरादून में पांचवीं बार तथा देश में दसवीं बार आयोजित किया जा रहा है। शिवर में जरूरतमंदों को कृत्रिम अंग निशुल्क उपलब्ध कराया जाता है। फाउंडेशन ने अब तक 5255 लोगों को कृत्रिम अंग एवं पोलियो कैलिपर्स प्रदान किए हैं।
मैक्स समूह की कंपनियां मैक्स हेल्थकेयर, अंतारा सीनियर लिविंग, मैक्स लाइफ इंष्योरेंस एवं मैक्स भूपा उत्तराखंड में अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है। कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत समूह ने दो गांवों ढकरानी एवं चंद्रोटी को अपनाया है। इसके साथ ही निचले स्तर पर कार्य कर रहे विभिन्न स्वयं सेवी संगठनों को भी समूह द्वारा समर्थन दिया जा रहा है। यह समूह ग्रामीण इलाकों में स्वस्थ्य एवं पोशण पर कार्य कर रहे हैं।
कृत्रिम अंगों एवं पोलियो कैलिपर्स को जरूरत मंदों तक पहुंचाने की प्रतिबद्वता के बारे में बताते हुए मैक्स इंडिया फाउंडेषन की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुश्री मोहिनी दलजीत सिंह ने कहा कि षारीरिक रूप से चुनौती प्राप्त व्यक्त्यिों को अपनी गतिषीलता में बहुत मुष्किलों का सामना करना पढ़ता है कृत्रिम अंग और पोलिया कैलिपर्स षिविर इस अवरोध को हल करने की कोषिष करता है।
शिविर की उपयोगिता को कई सफल कहानियों से जाना जा सकता
कृत्रिम अंग प्राप्त करने वाले व्यक्ति अपने दैनिक कार्यों को करने एवं आर्थिक स्वतंत्रता को प्राप्त करने में सक्षम बनते हैं। यह पहल व्यक्तियों को आत्म निर्भरता प्रदान करती है। शिविर की उपयोगिता को कई सफल कहानियों से जाना जा सकता है। उदाहरण के लिए तीस वर्शों से पोलियो से प्रभावित बृज मोहन शिविर से अपने पैरों पर खड़े हो कर आत्मनिर्भर जीवन जीने की ओर आगे बढ़े इसी तरह एक दुर्घटना में अपने पैर गवां चुकी सतेश्वरी भी अपने पैरों पर खड़ी हो सकीं।
मानव सेवा समिति एवं रैफेल सेंटर के स्वयंसेवक शिविर में पहुंचने वाले रोगियों एवं उनके परिवारों के रहने एवं भोजन की व्यवस्था को सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। रैफेल सेंटर में शिविर दस से तेरह अप्रैल तक आयाजित किया जाएगा। इसमें देहरादून और आस पास के क्षेत्रों से आर्थिक रूप से कमजोर मरीज अपना पंजीकरण करते हैं। शिविर स्थल पर ही एक कार्यषाला में कृत्रिम अंग (Prosthesis) तैयार किए जाते हैं। प्रत्येक रोगो को घर लौटने की अनुमति तभी दी जाती है जब तक व स्वतंत्र रूप से बिना किसी की सहायता के वलने में सक्षम हो जाता है।
रोगियों और उनके परिवार के सदस्यों के जीवन में नए आयाम को लाने में शिविर बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करता है। मानव सेवा समिति के संस्थापक एवं कार्यकारी ट्रस्टी अभिलाषा सिंघवी ने कहा कि हम मैक्स इंडिया फाउंडेशन का धन्यवाद व्यक्त करते हैं कि उनके साथ मिल कर हम इस शिविर को ओजित करते हैं। यह बहुत ही उल्लेखनीय है कि शिविर के जरिए जमीन पर रेंग कर चलने के लिए मजबूर मरीजों को अपने पैरों पर खड़े होने की स्वतंत्रता प्रदान की जाती है।