Pilgrimage sites will shine in hill architecture
- सचिव पर्यटन ने दिए समयबद्ध और गुणवत्ता पूर्ण निर्माण के निर्देश
- सांस्कृतिक धरोहरों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ने की कवायद तेज
- परंपरा और तकनीक के संगम से निखरेगा उत्तराखंड का धार्मिक पर्यटन
देहरादून। Pilgrimage sites will shine in hill architecture उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के सचिव व मुख्य कार्यकारी अधिकारी धीरज सिंह गर्ब्याल ने शुक्रवार को मानसखण्ड मंदिर माला मिशन के तहत प्रदेशभर में चल रही परियोजनाओं की गहन समीक्षा की। सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी निर्माण कार्य न केवल समयबद्ध तरीके से पूर्ण हों, बल्कि इनमें राज्य की पारंपरिक पहाड़ी स्थापत्य कला की स्पष्ट झलक भी नजर आनी चाहिए।
सचिव ने कहा कि धार्मिक पर्यटन के विकास के साथ ही राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संजोकर रखना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि निर्माण कार्यों में आधुनिक सुविधाओं का समावेश इस प्रकार हो कि वह तीर्थयात्रियों को बेहतर अनुभव दे सके और साथ ही पर्यावरणीय संतुलन को भी बनाए रखे। बैठक में उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी अभिषेक रूहेला, बीएल राणा, निदेशक अवस्थापना, संयुक्त निदेशक पर्यटन सहित कई अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
इन स्थलों के कार्यों की हुई समीक्षा
समीक्षा बैठक में कैंचीधाम, नैनीदेवी मंदिर, पाताल रूद्रेश्वर, पाताल भुवनेश्वर, हाटकालिका मंदिर सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर चल रहे सौंदर्यीकरण कार्यों, डॉर्मिटरी, शौचालय, पुल मरम्मत, विद्युतीकरण, भवन निर्माण एवं पार्किंग जैसी सुविधाओं की प्रगति का विस्तार से आंकलन किया गया। सचिव ने कहा कि इन स्थलों पर निर्माण कार्य पारंपरिक शैली में, स्थानीय पत्थरों एवं कंक्रीट का उपयोग करते हुए किए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि इन कार्यों से युवाओं को राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
पर्यटन सचिव ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी डिज़ाइन कार्यों में स्थानीय भूगोल, सांस्कृतिक सौंदर्यबोध, पर्यावरणीय संतुलन और तीर्थयात्रियों की सुविधा का समुचित ध्यान रखा जाए। उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर परिसरों में कोबल स्टोन पाथवे के माध्यम से पथों को व्यवस्थित किया जाए, ताकि श्रद्धालुओं की आवाजाही सुगम हो सके।
गुणवत्ता से नहीं होगा समझौता, तृतीय पक्ष निगरानी होगी जरूरी
बैठक के दौरान सचिव पर्यटन ने स्पष्ट निर्देश दिए कि लंबित कार्यों को सर्वाेच्च प्राथमिकता पर लेते हुए जल्द पूर्ण किया जाए, और सभी निर्माण कार्य तृतीय पक्ष निगरानी व्यवस्था के तहत हों, जिससे गुणवत्ता से कोई समझौता न हो।
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