सक्रिय आतंकवादी गुटों से पाकिस्तानी संसद भी चिंतित

हमारी जमीन का इस्तेमाल प्रतिबंधित  गुट क्यों करेः सीनेट

नई दिल्ली। पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी गुटों के प्रति वहां की संसद भी चिंतित है। पाकिस्तान की संसद के उच्च सदन सीनेट ने पुरजोर तरीके से कहा, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी जमीन का इस्तेमाल हिंसक अतिवादी गुट ना करें। सीनेट ने सरकार से कहा है कि वह एक संसदीय समिति बना दे जो विदेश नीति और सुरक्षा से जुड़ी नीतियों की निगरानी करे। सुझाव दिया गया है कि इस समिति में विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और खुफिया  विभाग के प्रतिनिध्यिों के अलावा रक्षा और विदेश मामलों से जुड़ी समितियों के अध्यक्ष भी हों। समाचारपत्रा दि न्यूज में प्रकाशित खबर  के मुताबिक सीनेट चेयरमैन मियां रजा रब्बानी की अध्यक्षता में मैराथन बैठक में यह बात उठी। बैठक में सदस्यों ने इस बात पर गहरी चिंता जताई कि एक ओर तो भारत ने पाकिस्तान के प्रति आक्रामक कूटनीति का रास्ता अख्तियार कर लिया है, दूसरी ओर पाकिस्तान की विदेश नीति खुद  को अलग-थलग होने से बचाने में बुरी तरह विपफल रही। सीनेट का सुझाव है कि पाकिस्तान कश्मीर मामले को जिंदा रऽने के लिए संयुत्तफ राष्ट्र प्रावधनों पर ध्यान केंद्रित करे और वहां के लोगों के आत्मनिर्णय के अध्किार को मुद्दा बनाए।

साथ ही कहा गया कि पाकिस्तान दुनिया को और पुख्ता तरीके से बताए कि वह खुद  आतंकवाद का सबसे बड़ा शिकार रहा है और उसकी ध्रती से ऐसे तत्वों को अपनी गतिविध्यिां चलाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। लेकिन पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे प्रतिबंध्ति गुट उसकी जमीन से सक्रिय न रहें। बैठक में यह भी बात उभरकर आई कि भारत से बिगड़ते रिश्तों को वापस पटरी पर लाने के लिए बैक चैनल बातचीत का प्रयास किया जाए।

आतंकियों के वित्तीय स्रोतों पर प्रहार

पाकिस्तानी समाचारपत्रा दि न्यूज ने अपने संपादकीय में लिऽा है कि एक बार पिफर आतंकवाद चर्चा का राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है और पिछले एक सप्ताह के दौरान कई उच्चस्तरीय बैठकें हुईं जिनमें आतंकवादी संगठनों से निपटने की रणनीति पर विचार हुआ। इसी सिलसिले में आतंकवादी संगठनों के पैसे के स्रोत को बंद करने के उपायों पर भी बात हुई। अखबार  ने लिख  है कि स्टेट बैंक आॅपफ पाकिस्तान ने सितम्बर के अंतिम हफ्ते  से इस संदर्भ में कार्रवाई शुरू की है। अब तक 2021 बैंक खातों  पर रोक के आदेश जारी कर दिए गए हैं और 6,400 अन्य खतों  पर रोक की तैयारी चल रही है। अऽबार ने आतंकियों के ध्न स्रोतों पर अंकुश लगाने के फैसले को बढ़ते दबाव के बीच उठाया गया सही कदम बताया, लेकिन यह भी कहा कि यह बात सापफ होनी चाहिए थी कि लोगों का चुनाव किस आधर पर किया गया। उसका पैमाना क्या था। वैसे अऽबार ने कहा कि आतंकवादियों के ध्न स्रोतों पर अंकुश लगाने के संदर्भ में बड़ा सवाल यह है कि हवाला और हुंडी से हो रहे लेनदेन को कैसे रोकेंगे।

केंद्र गुमराह कर रहा, जमीन नहीं देंगे

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को लेकर खैबर  पख्तूनवा (केपी) सरकार ने कड़ा रुख  अख्तियार कर लिया है। केपी के मुख्यमंत्राी खट्टखक परवेज  ने दो टूक कहा कि अगर पश्चिमी रूट को सीपीईसी का हिस्सा घोषित नहीं किया गया और इससे होने वाले फायदे में राज्य को भागीदार नहीं बनाया गया तो इस गलियारे को खैबर  पख्तूनवा से गुजरने नहीं दिया जाएगा। पाकिस्तानी अखबार  दि न्यूज में इस आशय की खबर  छपी है।
केपी विधनसभा में मुख्यमंत्राी ने विधयकों को कुछ यूं जानकारी दी- फ्मैंने खुद  चीन के राजदूत से पूछा कि पश्चिमी रूट सीपीईसी का हिस्सा है या नहीं तो उन्होंने कहा-नहीं। पिफर मैंने उनसे पूछा कि क्या आगे इसे शामिल करने की कोई योजना है। इसके भी जवाब चीन के राजदूत ने ना में दिया।फ् नाराजगी भरे अंदाज में खट्टखक ने कहा, आखिर  इसका क्या मतलब है ?  सापफ है कि केंद्र ने हमें गुमराह किया है और जान-बूझकर हमसे सच्चाई छिपाई गई। लेकिन एक बात मैं सापफ कर देना चाहता हूं कि अगर सीपीईसी का हमें पफायदा नहीं मिला तो इसके लिए न तो हम जमीन देंगे और न ही इसका काम होने देंगे।