योगी का नया धर्म

Yogi

डॉ. प्रभात ओझा
कभी इसी कॉलम में चर्चा की गयी थी कि धर्म बड़ा व्यापक अर्थ रखता है। यहां स्पष्ट करना आवश्यक है कि योगी के नये धर्म के जिक्र में भी किसी लौकिक धर्म परिवर्तन की बात शामिल नहीं है। योगी आदित्यनाथ हिन्दू धर्म और उसमें अपने करोड़ों अनुयायियों के लिए श्रद्धा के केंद्र हैं। गोरक्ष पीठ के अनुयायी भारत और उसके बाहर दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी पफैले हुए हैं। योगी आदित्यनाथ लम्बे समय तक सांसद रहे। वह फायर ब्रांड हिन्दू नेता की पहचान रखते हैं। बीजेपी के सांगठनिक विस्तार के लिए दिए गये उनके भाषणों के खास हिस्सों को सामने निकालकर विरोधी उनकी आलोचना करते रहे हैं।

दूसरी ओर उनके कट्टर अनुयायी भी इसी भावावेश में आलोचकों को जवाब भी देते रहे हैं। आज जब योगी देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं, सोशल मीडिया पर एक खास तरह का अभियान सा दिखाई दे रहा है। इनमें से बहुत से टिप्पणीकार तो योगी में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की छवि तक देख रहे हैं। आशय साफ है कि वह कतिपय मुस्लिम देशों के नागरिकों पर अपने यहां तरह तरह की रोक लगाने की कोशिश कर रहे हैं। यूपी में नये सीएम में इस रूप को देखने वाले यह जानकर निराश होंगे कि शपथ के पहले ही प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से उन्होंने हर हाल में राज्य की कानून व्यवस्था कायम रखने पर जोर देने को कहा है।

उन्होंने साफ तौर पर निर्देश दिया कि सरकार बनने और उनके सीएम पद की शपथ लेने के भावावेश में लोग संयम न खोने पायें, इसका ध्यान रखा जाय। कुछ खास लोग यह जानकर भी निराश होंगे कि योगी जिस पीठ के प्रमुख हैं, उसके गोरखपुर स्थित मंदिर परिसर में कई दशक से मुस्लिम व्यवसायियों की भी दुकानें हैं। ऐसे दुकानदार योगी का बहुत सम्मान करते हैं। किसी प्रमुख व्यक्ति का सम्मान और ऐसे व्यक्ति का अपने समर्थकों के प्रति स्नेह समान्य मानव स्वभाव है। निर्वाचित सरकारें तो इस मूल स्वभाव को आदर्श मानकर चला करती हैं। लिहाजा, योगी के नेतृत्व वाली सरकार इस स्वाभाविक प्रक्रिया को कायम तो रखेगी ही, अपने ऊपर किसी भी तरह के आरोप की आशंका से इस ओर ज्यादा सचेत भी रहेगी। पार्टी नेतृत्व ने भी सरकार बनने के साथ ही इसी तरह के संकेत दे दिए हैं। मुस्लिमों को चुनावी टिकट नहीं देने की चर्चा पर कहा गया था कि जीत की संभावना ही टिकट देने का आधार है। बीजेपी की बहुत बड़ी जीत ने पार्टी की इस रणनीति पर मुहर लगा दी है। अब मौका आया तो चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हुए मोहसिन रजा को राज्य मंत्री बनाया गया है। पूर्व क्रिकेटर मोहसिन 2013 में पार्टी में आये और प्रवक्ता बनाये गये थे। वे अक्सर टीवी चौनलों पर बीजेपी का पक्ष रखते हुए देखे जाते रहे। उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा हासिल की है।

नियमानुसार मंत्री पद संभालने के बाद मोहसिन रजा को छह महीने के अंदर विधानसभा या विधान परिषद की सदस्यता हासिल करनी होगी। भाजपा की इस जीत के बाद मुख्य मंत्री, दो उप मुख्य मंत्री और मोहसिन जैसे मंत्री के लिए सदन की सदस्यता दिलाना अति सहज कार्य है। खास बात तो तो मंत्रिपरिषद का अपना दायित्व पूरा करना है। किसी तरह का भ्रम रखने वालों और किसी तरह का डर पालने वाले, दोनों ही सरकार के धर्म को भूल जाते हैं। योगी आदित्यनाथ तो नाथ सम्प्रदाय के पुरोधा ही हैं। वहां संन्यास के लिए अपने माता-पिता से ही अनुमति लेने की कठोर परम्परा रही है। सम्भवतः ऐसा इसलिए है कि इस विधि से गुजरा संन्यासी बिना किसी राग-द्वेष के ईश्वर के प्रति एकनिष्ठ रहते हुए समाज के प्रति समर्पित रहे। धर्म के इस रूप को शायद ही कोई मनुष्य नकारने की नासमझी करे। ऐसी परम्परा से निकले योगी आदित्यनाथ ने अब सीएम बनते ही राजधर्म को भी अपना लिया है। उनका यह धर्म भी बिना भेदभाव, सभी के हित का ध्यान रखने की परिपाटी वाला है।