आर्सेनिक की समस्या के बारे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत: उमा भारती

Ganga

नई दिल्ली। केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा है कि गंगा बेसिन में आर्सेनिक की समस्या से करोड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं। इस समस्या के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए एक समग्र आंदोलन चलाए जाने की जरूरत है। मंगलवार को दिल्ली में केंद्रीय भूमि जल बोर्ड की ओर से गंगा बेसिन के भूजल में आर्सेनिक की समस्या एवं निराकरण विषय पर आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि भूजल में आर्सेनिक की समस्या से निपटने के लिए इस कार्यशाला की रिपोर्ट आने के बाद मंत्रालय एक व्यापक कार्ययोजना तैयार करेगा जिसमें राज्य सरकारों एवं गैर सरकारी संगठनों का भी सहयोग लिया जाएगा।

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विकास में जनभागीदारी के महत्व पर जोर डालते हुए उन्होंने कहा कि भूजल में आर्सेनिक एवं अन्य प्रदूषण से निपटने के लिए भी जनआंदोलन खड़ा करना पड़ेगा। इसी प्रकार जल के सदुपयोग को भी जन आंदोलन बनाये जाने की जरूरत है। भारती ने कहा कि उन्होंने भी ऐसे कई गांव देखे हैं जहां जल संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। भारती ने कहा कि ग्रामीण भारत को पीने के पानी की जरूरतों को पूरा करने में 85 फीसदी के आसपास योगदान भूजल का है। भारत सरकार की योजनाओं में भूजल संसाधनों की स्थिरता एक बड़ा एजेंडा है। बदलती जीवन शैली और बढ़ती जनसंख्या के साथ पानी की मांग भी बढ़ रही है। इसलिए भूजल संसाधनों का संरक्षण करने और उन्हें बचाने की अत्यन्त जरूरत है।
भारती ने कहा कि भूजल संसाधनों से संबंधित समस्याओं में से एक प्रमुख समस्या पानी की गुणवत्ता की है। भूजल में आर्सेनिक की मौजूदगी जहर के समान है।

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यह मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड और जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा गंगा बेसिन में कृत्रिम पुनर्भरण और वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे भूजल की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद मिलेगी । केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री ने विश्वविद्यालयों, आईआईटी और अनुसंधान संस्थानों में काम कर रहे भूजल विशेषज्ञों से आह्वान किया कि वे भी अपने महत्वपूर्ण सुझाव दें, ताकि मंत्रालय को इस समस्या के समाधान के लिए भविष्य की रणनीति बनाने में सहायता मिल सके।

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण राज्यमंत्री संजीव बालियान ने कहा कि भूजल में आर्सेनिक की समस्या से देश की 50 फीसदी जनता जूझ रही है। उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए सभी विभागों को एक सामूहिक सोच बनानी पड़ेगी और मिलकर कार्य करना होगा। मंत्रालय के सचिव डाॅ अमरजीत सिंह ने इस अवसर पर कहा कि गंगा नदी से ही सर्वाेधिक जल मिल रहा है और यही नदी आर्सेनिक से ज्यादा प्रदूषित है। इस समस्या के निजात पाने के लिए राज्यों में टास्क फोर्स बनाकर कार्य किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस एक दिवसीय इस कार्यशाला में देशभर के विभिन्घ्न राज्यों एवं संस्घ्थानों से आए 300 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यशाला के लिए 23 प्रपत्र चुने गए जिसमें से सात प्रपत्रों पर विशेषज्ञों एवं भूजल वैज्ञानिकों के बीच विस्तत चर्चा हुई।