पीएम को नहीं सुनाई देती मुस्लिमों की आह

वाराणसी । भोपाल में जेल से भागे सिमी के आतंकियों के एनकाउंटर को लेकर चल रही राजनीति में अब मशहूर शायर मुनव्वर राणा भी कूद पड़े हैं। राणा ने कहा है कि देश में जो भी एनकाउंटर हो रहे हैं वो सिर्फ सियासी रहनुमाओं को खुश  करने के लिए हो रहे हैं। वाराणसी में एक कार्यक्रम में उन्होंने प्रधनमंत्राी नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप भी जड़ा। मशहूर शायर मुनव्वर राना ने कहा कि हमारे प्रधनमंत्राी तथा वाराणसी के सांसद नरेंद्र मोदी को को दलितों का दर्द तो कापफी नजर आता है, लेकिन मुसलमानों की आहें सुनाई नहीं देतीं।देश तथा प्रदेश का मुसलमान की काफी परेशान तथा दर्द में हैं। राना ने नोएडा के एखलाक का उदाहरण दिया और कहा कि उसके यहां तलाशी ली गई, उसे बेदर्दी से मारा गया। एक वर्ग खुद  के कानून को समाज पर थोपना चाहता है, जो सही नहीं हैं।
देश में मुसलमानों की दशा पर चिंतित मुनव्वर ने कहा कि प्रधनमंत्राी को दलितों का दर्द तो दिखाई देता है, लेकिन मुसलमानों की आहें उन्हें सुनाई नहीं देतीं। अब तो उर्दू जबान को आतंकवाद की पहचान बना दिया गया है। मुल्क की पुलिस किसी भी मुसलमान को पकड़ती है तो उसकी जेब से एक उर्दू जबान में लिखत दिखा कर उसे आतंकवादी घोषित कर देती है। हिंदुस्तान में उर्दू पर दो बार बिजली गिरी। एक जब मुल्क का बंटवारा हुआ, दूसरे जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरी। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने अपना असलहा बेचने के लिए हिंदूस्तान के तीन टुकड़े भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश करा दिए। अवार्ड वापसी पर उन्होंने कहा कि मैं अपनी बात पर कायम हूं। लोगों ने सिपर्फ अवार्ड लौटाए थे, मैंने तो अवार्ड वापसी के साथ ही किसी भी सरकारी पुरस्कार को न लेने का ऐलान भी किया है, लेकिन शायद सियासत गजल की भाषा नहीं समझती। राणा ने उर्दू अकादमी बंद करने का सुझाव दिया और कहा कि इसकी जगह जिलों में मजिस्ट्रेट की निगरानी में ऐसी संस्था बने, जो सब पर निगाह रखे ।
इसका सालाना बजट 100 करोड़ रुपये हो। अवाॅर्ड वापसी पर अपनी भावनाएं व्यत्त करते हुए उन्होंने कहा, पुरस्कार तो बहुत लोगों ने लौटाए थे लेकिन मैंने यह भी कहा था कि अब कभी कोई सरकारी पुरस्कार नहीं लूंगा। राना ने पिछले साल असहिष्णुता के मुद्दे पर अवार्ड भी लौटा दिया था। इस बारे में उन्होंने कहा कि देश में अभी भी यह माहौल है।
उर्दू और पफारसी के जानकार डाॅ. अमृत लाल इशरत मधेक की 86वीं जयंती पर कल वाराणसी में मुशायरा के बाद उन्होंने कहा कि इससे पहले भी पुलिस एनकाउंटर पफर्जी होते हैं। थानों में मासूमों को फंसाने के लिए पहले तो हथियार रऽे जाते थे, फिर  नशीली सामग्री और अब दहशतगर्दी का इल्जाम। यह सब महज सियासी रहनुमाओं को खुश करने के लिए हो रहा है।
उन्होंने कहा कि भोपाल में सिमी के आठ आतंकी मारे गए हैं जबकि एक भी पुलिसवाले को गोली तक नहीं लगी। कम से कम दो-तीन पुलिसवाले भी मरते तो लगता कि वहां पर एनकाउंटर हुआ था। राना ने कहा कि आजकल लोगों की मांग पर एनकाउंटर होने लगे हैं। लोगों की मर्जी से पफांसी दे दी जाती है। किसी की जेब से ऊर्दू में लिखा खत मिल जाता है तो उसे आतंकी करार दे दिया जाता है। यह सब राजनेताओं को खुश करने के लिए किया जाता है। मुनव्वर राना ने कहा कि देश की सेना को सियासत से दूर ही रखना चाहिए। सियासत गजल की जुबान नहीं समझाती। इसी तरह पफौज को भी सियासत से अलग रखना चाहिए। प्रधनमंत्राी मोदी सफल सर्जिकल स्ट्राइक को कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ा रहे हैं। सेना काम करना जानती है। इस पर जरा सी भी राजनीति करने की जरुरत नहीं है।