पुरूषों के मुकाबले महिलाओं के मसलस ज्यादा मजबूत होते हैं जानिए कैसे?

boy and girl exercise

वैसे तो आम तौर पर देखा गया है कि महिलाओं के मुकाबले पुरूष अपने मसल (पट्ठों) और ताकत का दिखावा ज्यादा करते हैं। और पश्चिमी यूरोप में तो इस मामले में महिलाएं भी पीछे नहीं है। इसमें कोई शक नहीं कि पुरूष आपनी ताकत और मसलस का दिखावा करने में आक्रामक और तेज होते हैं। एक हालिया रिसर्च से पता चला है कि युवाओं के मुकाबले महिलाओं के मसलस में ज्यादा सहनशीता होती है, यानी उनके मसलस ज्यादा मजबूत होते हैं।
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साईंस जर्नल एप्लाइड फिजिकल नेटवर्क में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक यूनीवर्सिटी आफ ओरीगन और यूनीवर्सिटी आफ ग्यूलाफ के विषेशज्ञों ने पुरूषों और महिलाओं के मसलस में मजबूती जांचने के लिए एथलीट व्यक्तियों की सहायता हासिल की। फ्लैट स्केल पर की जाने वाली रिसर्च में आदमी और महिला एथलीट की संख्या एक जैसी ही रखी गई, और उन्हें एक जैसी ही फिटनेस ट्रेनिंग, खाना और एक्सरसाईज कराई गई।
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एथलीट की प्रशिक्षण पूरी होने के बाद विशेषज्ञों ने उनमें तेजी, ताकत, सहनशीलता और एकरूपता जांचने के लिए इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों के जरीये उनके मसलस की जांच की। विशेषज्ञों ने एथलीट पुरूषों और महिलाओं से विभिन्न एक्सरसाईज करवाईं, जिनमें उनके मसलस की ताकत और मजबूती का जायजा लिया गया। विशेषज्ञों के मुताबिक महिलाओं के मुकाबले पुरूष एथलीट तेजी और ताकत से एक्सरसाइज करने के आदी निकले।
boy and girl Muscle
वहीं जितनी तेजी और ताकत से वो एक्सरसाइज करते उतनी ही जल्दी वो थक जाते। परिणाम के मुताबिक पुरूषों के मुकाबले महिलाएं एक्सरसाइज में अपनी विशिष्ट रफ्तार और ताकत का दिखावा करने की आदी होती हैं, जिस वजह से वो ज्यादा देर तक भी एक्सरसाइज करने की हिम्मत रखती हैं।
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विशेषज्ञों के मुताबिक आदमियों के मुकाबले महिला एथलीट के मसलस ना सिर्फ देर तक एक्सरसाइज के लिए मजबूत होते हैं, बल्कि वो एक आवेग के साथ काम को पूरा करने की भी आदी होती हैं, जिससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह पुरूषों को मुकाबले में शिकस्त दे सकती हैं। कहने का मतलब यह है कि पुरूषों के मसलस देर तक एक्सरसाइज या महारत दिखाने के काबिल नहीं होते, जबकि महिलाओं के मसलस में सहन करने का तत्व ज्यादा है।