Mother cow will get status of mother of nation
आयोग की कार्यकारिणी में कई प्रस्ताव पारित।
जिला पंचायत व नगर पंचायतों में गौ सदन निर्माण की सुस्त चाल, अध्यक्ष ने लगाई फटकार,
सड़क पर बेसहरा छोड़ी गाय तो अब 2 नहीं 10 हजार भरना पडेगा जुर्माना
गौ तस्करी पर 10 वर्ष का कठोर कारावास और 5 लाख जुर्माना, आयोग की बैठक में प्रस्ताव पारित
देहरादून। Mother cow will get status of mother of nation उत्तराखंड गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. पं. राजेन्द्र अणथ्वाल की अध्यक्षता में गुरूवार को मोथरोवाला स्थित पशुधन भवन सभागार में गौ सेवा आयोग की कार्यकारिणी की बैठक संपन्न हुई। जिसमें राज्य के सभी जनपदों में गौ सदनों के निर्माण, संचालित गौ सदनों की स्थिति और गौ कल्याण कार्यक्रम की विस्तार से समीक्षा की गई। आयोग की बैठक में गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा देने सहित गोवंश संरक्षण हेतु कई प्रस्तावों को भी पारित किया गया।
अध्यक्ष ने कहा कि शास्त्रों में गाय को माता के रूप में पूजा जाता है। जिस घर-गांव में गाय पलती है, वहां हमेशा संपन्नता रहती है। गोवंश आधारित प्राकृतिक खेती न केवल मिट्री के बायोमास को बढ़ाकर कृषि भूमि को सुधारने मदद करती है, बल्कि गोपालन से जुड़े कुटीर उद्योग गोपालकों की जीविकोपार्जन भी करती है।
देवभूमि में गौसेवा करना सबसे बड़ा सौभाग्य है। अध्यक्ष ने कहा कि गौवंश के सेवा के लिए राज्य में गौसदनों से जुड़े कुछ लोग अच्छा काम कर रहे है, लेकिन बडे दुःख की बात है कि आज 60 प्रतिशत गौवंश सड़क पर है। गोवंश के प्रति क्रूरता बडी है। गौवंश के प्रति अपराध की रोकथाम के लिए सख्त प्रावधान लाया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गौवंश संरक्षण के लिए प्रावधानों को सख्त बनाते हुए कडाई से उसका अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।
अध्यक्ष ने निर्देश दिए कि राज्य के अंतर्गत निराश्रित, बेसहारा गोवंश को आश्रय उपलब्ध कराने हेतु शहरी विकास एवं पंचायतीराज विभाग के अंतर्गत संचालित निर्माणाधीन गौ सदन, गौशालाओं का निर्माण शीघ्र पूरा किया जाए। नए गौ सदन के लिए भूमि चयन और निविदा प्रक्रिया में तेजी लाए। कोई भी प्रकरण अनावश्यक लंबित न रहे।
गौ सदनों की अवशेष देनदारी का भुगतान एवं उनकी समस्याओं का समयबद्धता से निस्तारण किया जाए। घायल, बीमार गोवंश के त्वरित उपचार एवं उचित देखभाल के लिए लिफ्टिंग वैन की पर्याप्त व्यवस्था रखे। नगर पंचायत एवं जिला पंचायतों में गौ सदन निर्माण की सुस्त प्रगति पर अध्यक्ष ने गहरी नाराजगी भी व्यक्त की।
अध्यक्ष ने कहा कि पशु क्रूरता एवं गोवंश तस्करी जैसे अपराध करने वाले के विरुद्ध पुलिस स्तर से सख्त कार्रवाई की जाए। गोवंश पर अपराधों की पैरवी के लिए कानूनी सलाहकार नियुक्त किया जाए। गौ सदनों में गौवंश के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखते हुए पर्याप्त पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जाए। गौ सदनों को छूट पर साइलेज उपलब्ध कराने के लिए सहकारिता विभाग को प्रस्ताव प्रेषित किया जाए। बैठक में आयोग के सदस्यों ने अपने जनपद में गौ सदनों की स्थिति, समस्या और निदान के बारे में अपने सुझाव रखे।
बैठक में उप सचिव पशुपालन महावीर सिंह पंवार, संयुक्त सचिव वन सत्य प्रकाश सिंह, संयुक्त सचिव वित्त एस त्रिपाठी, डीडीएसपी नवीन चन्द्र सेमवाल, निदेशक यूसीबी प्रो.संजय कुमार, निदेशक पशुपालन उदय शंकर, सदस्य गौरी मौलेखी, कामनी कश्यप, कमलेश भट्ट, शंकर दत्त पांडेय, धर्मवीर सिंह गुसाई, शीतल प्रसाद, सतीश उपाध्याय, विजय वाजपेई, निदेशक पंचायती राज मनवर सिंह राणा, मुख्य अधिशासी अधिकारी यूएलडीडी डा.आरएस नेगी, सीईओ शिप बोर्ड डा. प्रलयंकर नाथ, संयुक्त निदेशक पशु कल्याण बोर्ड डा. हरेन्द्र कुमार, प्रभारी अधिकारी डा. उर्वशी आदि उपस्थित थे।
आयोग की बैठक में सर्वसम्मति से ये प्रस्ताव हुए पास
आयोग की बैठक में गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा देने और सम्पूर्ण भारत में गोवंश अपराधों की रोकथाम के लिए समान कानून बनाने का प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित करने पर सर्व सहमति व्यक्त की गई। वही उत्तर प्रदेश में गौ हत्या और गौ मांस की तस्करी जैसे अपराधों के लिए 10 वर्ष का कठोर करावास एवं 05 लाख जुर्माने का प्रावधान को उत्तराखंड राज्य में भी लागू करने, गौवंश को शारीरिक कष्ट पहुंचाने पर सजा का प्राविधान करने, गौवंश को सड़क पर छोड़ने वाले के विरूद्व वर्तमान प्रावधान में दो हजार रुपये का आर्थिक दंड को बढाकर 10 हजार करने, शहरी क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी गौवंश का पंजीकरण, टैगिंग फोटोग्राफी के साथ करने।
गौवंश अपराध रोकने के लिए पुलिस विभाग के स्तर पर पृथक से गौवंश संरक्षण स्वाइड का गठन करने तथा दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों की नियमित चौकिंग, गौवंश की तस्करी रोकने के लिए अभियान चलाने, प्रत्येक गौवंश का जन्म और मृत्यु पंजीकरण अनिवार्य करने, नर गौवंश नंदी के संरक्षण के लिए जिला पंचायत और नगर पालिका में नंदीशाला की स्थापना, देशी प्रजाति की गायों के संरक्षण के लिए प्रोत्साहन योजना संचालित करने, भूसे और चारे की कमी को दूर करने के लिए मिलों को होने वाले भूसे की सप्लाई पर रोक लगाने, गौवंश से संबंधित कार्य एवं व्यवस्थाओं के लिए गौ आयोग को पर्याप्त धनराशि आवंटित करने, गौसदनों के पंजीकरण एवं मान्यता देने की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने, गौचर भूमि का चिन्हीकरण और अतिक्रमण मुक्त कराने का प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से पारित किया गया।
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