अब मच्छरों को मच्छर ही करेगा खत्म

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दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने तो पहले ही कह दिया था कि आने वाले समय में ‘मच्छर’ मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा साबित होंगे। एक तथ्य यह भी है कि मच्छर जनित रोग मलेरिया, जिया वायरस, चिकन गुनिया, और डेंगू जैसी बीमारियों के इलाज के लिए आज तक चिकित्सा विज्ञान कोई दवा तैयार नहीं कर सकी।
Masquito
मच्छरों के काटने से उत्पन्न होने वाली ऐसी बीमारियों के विभिन्न दवाओं की मदद से उस समय ही इलाज संभव है, जब यह रोग प्रारंभिक स्थिति में हो, यही कारण है कि इस समय भी दुनिया में वार्षिक लाखों लोग मलेरिया से मारे जाते हैं। लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों, वैज्ञानिक और विश्व संस्था इस संबंध में लगातार प्रयासरत हैं और ऐसी ही एक कोशिश के माध्यम से अब खतरनाक मच्छरों को मच्छरों के माध्यम से ही समाप्त करने की योजना शुरू कर दिया गया।
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गूगल निर्माता कंपनी एल्फा के संस्था वर्ली लाइफ साइंसेज मासकीटो मैट और कनसोलियडेट मासकीटो एबीडमेंट ड्रिस्क्ट (सीएमडीए) ने ऐसे नर मच्छर तैयार किए हैं, जो जिया, चिकन गुनिया और मलेरिया जैसी बीमारियां फैलाने वाले मच्छरों को नष्ट या कम करेंगे। कंपनियों ने डिबग प्रोजेक्ट के तहत नर मच्छरों के कई समय तक विशेष रसायनों के माध्यम से विशेष प्रयोगशाला में बढ़ाया, जहां इन मच्छरों को वालबाकया नामक जीवाणु दिया गया, जिससे ये मच्छर मनुष्य को काटने की आदत से वंचित हो गए।
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विशेषज्ञों के अनुसार मच्छरों को विशेष बैक्टीरिया के माध्यम रसायल के माध्यम ये इंसान के दोस्त बन गए, जिसके बाद यह मनुष्य को नहीं काटेंगे और न ही कोई बीमारी और वायरस का विस्तार होगा। यह विशेष नर मच्छर ऐसे पदार्थ मच्छरों से मेलआप करेंगे, जो पहले से ही क्षेत्र में मौजूद होंगे, लेकिन उनके मिलान पदार्थों मच्छर अंडे देने या अंडे से बच्चे पैदा करने में असमर्थ रहेंगे। विशेषज्ञों के अनुसार इस प्रक्रिया के माध्यम से मच्छरों की आबादी धीरे धीरे कम होगी और इससे यह अनुमान भी लगाया जा सकेगा कि किस क्षेत्र में कितने मच्छर हैं और उसी हिसाब से ऐसे ही लाखों नर मच्छर तैयार करके इस क्षेत्र में छोड़े जाएंगे।
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शुरू में इस परियोजना के लिए विशेषज्ञों ने कैलिफोर्निया के 300 एकड़ क्षेत्रफल में फैले एक क्षेत्र को चुना है, जहां 14 जुलाई से लाखों की संख्या में यह मच्छर छोड़े जा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार एक समय में 10 लाख नर मच्छरों को चरणबद्ध प्रयोगशाला की विशेष वैन के माध्यम से क्षेत्र में ले जाकर छोड़ा जाएगा। गौरतलब है कि इन मच्छरों को विशेष तौर पर जिया वायरस, चिकन गुनिया और डेंगू वायरस फैलाने वाले विशेष पदार्थ मच्छरों को नष्ट करने के लिए तैयार किया गया है।
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