Misleading Information about Saubhagya yojana
देहरादून। Misleading Information about Saubhagya yojana लोकसभा चुनाव प्रचार में उत्तराखंड में भी केंद्र की योजनाओं की सफलता के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं| लेकिन प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल सौभाग्य योजना को उत्तराखंड पावर कार्पोरेशन लिमिटेड ने जो पलीता लगाया है उस पर अब चुनावी मौसम में सवाल उठने लगे हैं। बीजेपी सरकार के आंकड़ों को खारिज कर अपने सर्वे के आधार पर लाभार्थियों की संख्या कई गुना बढ़ाकर बता रही है।
‘घर-घर बिजली हर घर बिजली’ के स्लोगन के साथ केंद्र की मोदी सरकार की सौभाग्य योजना राज्य में 25 सितंबर, 2017 को लांच हुई थी। योजना से पहले केंद्र और राज्य का एक जॉएंट पावर फॉर आल सर्वे किया गया था जिसके अनुसार उत्तराखण्ड के एक लाख चार हजार घर ऐसे थे जहां बिजली नहीं थी।
सौभाग्य योजना के तहत राज्य में करीब 44 हजार घरों को सौभाग्य योजना का लाभ मिलना था लेकिन विभाग द्वारा की गई आकड़ों की बाजीगरी के बाद जो आंकड़े सामने आए उनके अनुसार ढाई लाख परिवारों तक बिजली पहुंचाई गई। कांग्रेस भी चुनाव के दौरान सवाल उठाने लगी है।
आंकड़ों की बाजीगरी करने के सिवा कोई काम नहीं किया

कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि बीजेपी ने पांच साल में आंकड़ों की बाजीगरी करने के सिवा कोई काम नहीं किया है। उज्जवला योजना, ओडीएफ और सौभाग्य योजना में मोदी सरकार ने सिर्फ आंकड़ों का खेल किया है। दसौनी कहती हैं कि जब 2016 की रिपोर्ट में बताया गया था कुल पौने दो लाख घर रह गए थे|
जहां बिजली नहीं पहुंच पाई थी और बाद की इनकी रिपोर्ट कहती हैं कि हमने साढ़े तीन लाख गांवों में बिजली दी| तो रातों रात इतने गांव कहां से पैदा किए गए। कांग्रेस के सवालों को बीजेपी सिरे से खारिज करती है। पार्टी प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट कहते हैं कि उनका अपना सर्वे है जो गलत नहीं है|
उनकी सरकार ने राज्य में करीब ढाई लाख घरों में बिजली के नए कनेक्शन लगवाए हैं। चुनावी माहौल में आरोप-प्रत्यारोपो का दौर चलता रहेगा लेकिन जिन योजनाओं की सफलता का ढिंढोरा मंचों से पीटा जा रहा है उनकी हकीकत भी पता चलती तो यह लोकतंत्र और मजबूत होता।