राज्यपालों की भूमिका सिर्फ लोगों व राजनेताओं के मुद्दे सुनने तक सीमित: उपराष्ट्रपति

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नई दिल्ली। देश के उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी द्वारा दी गई एक जानकारी में उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने गुजरे सप्ताह में देश के विभिन्न राज्यपालों को उनकी राजनीति में क्या भूमिका होनी चाहिए उस बात से अवगत करवाया। उन्होने कहा भारत एक लोकतांत्रिक देश है जिसके संविधान के तहत विभिन्न राज्यों के राज्यपालों की मुख्य भूमिका बस लोगों व राजनेताओं के मुददों को सुनने तक की सीमित होता है जिसके दायरे को पार नही किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों के राज्यपालो की सीमित भूमिका मात्र अपनी सलाह उनके राज्यों के मुख्य मंत्रियों को सलाह देने तक ही सीमित होती है।

उन्होंने संसद के केंद्रीय हाल में मुखर्जी के विदाई समारोह में अपने भाषण में मुखर्जी की टिप्पणी का हवाला देते हुये कहा कि राज्यपाल के पास कोई विवेक नही है लेकिन कुछ स्थितियों में फ्लोर टेस्ट के फैसले को स्वीकार करना है। पिछले सप्ताह गवर्नर्स और लेफिटनेंट गर्वनर्स के लिए विदाई में रात्रिभोज में राष्ट्रपति मुखर्जी ने संवैधनिक डिजाइन के बारे में बात की, जिसके द्वारा एक राज्य में दो कार्यकारी अधिकारी नही हो सकते और राज्यपाल की भुमिका का दायरा भी सीमित होता है। उन्होंने राज्यपालों को राज्यों में अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों के संबंध में उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी को सुचारू रूप से लागू करने की सलाह दी।