हिन्दू धर्म को प्राचीन काल में सनातन धर्म कहा जाता था। हिन्दु धर्म 4 हजार साल से भी पुराना माना जाता है। हिन्दु धर्म का मूल उद्देश्य दया, क्षमा, सत्य, अहिंसा, दान आदि हैं जिनका गौरवपूर्ण महत्तव है। ऐसी मान्यता है कि आर्यों ने वेदों का अनुसरण करते हुए हिन्दु धर्म को पहचान दिलाई। अतिप्राचीन लेखों एवं तथ्यों से पता चलता है कि हिन्दू धर्म का उदय बुहत प्राचीन एवं बहुत ही समृद्ध व विकसित था।
इसलिए हिन्दु धर्म, सनातन धर्म के रूप में सभी धर्मों का मूल आधार है। दुनिया की प्राचीन पुस्तक ऋग्वेद को माना गया है। और इस वेद पर आाधाति है हिन्दु धर्म। मान्यता है कि ऋग्वेद को आधार बनाकर बाद में यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की रचना हुई। दरअसल ये सभी वेद ऋग्वेद के अलग-अलग विषयों पर आधारित और विस्तार है। जानकारों का मानना है कि इन वेदों का अनुसरण करके ही हिन्दू धर्म के नियम और मानदंड स्थापित हुए है।
हिन्दू धर्म को सनातन, वैदिक या आर्य धर्म भी कहा जाता है। अगर हम भाषाविदों की माने तो हिंद-आर्य भाषाओं की ‘स’ ध्वनि ईरानी भाषाओं की ‘ह’ ध्वनि में बदल जाती है। आज भी भारत के कई क्षेत्र व इलाके ऐसे हैं जहां ‘स’ को ‘ह’ उच्चारित किया जाता है। इसलिए सप्त सिंधु पारसियों की भाषा में जाकर हप्त हिंदू में बदल गया। इसी वजह से ईरानियों ने सिंधु नदी के पूर्व में रहने वालों को हिंदू नाम से उच्चारित किया। परन्तु पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लोगों ने आज भी सिंधू या सिंधी कहा जाता है।
वहीं आर्य समाज के लोग हिन्दू धर्म को आर्य धर्म कहते है, जबकि आर्य किसी जाति या धर्म के नाम न होकर इसका अर्थ श्रेष्ठ से माना जाता है। यानि आर्य उसे कहा गया है जो मन, वचन, एवं कर्म से श्रेष्ठ है। लेकिन हिन्दू धर्म की कुछ और भी मान्यताएं है जिसमें यह भी माना गया है कि हिन्दू धर्म की शुरूआत 90 हजार वर्ष पूर्व हो गई थी। वह वो वक्त था जब कागज एवं कलम नहीं हुआ करते थे। इसलिए हिन्दुओं ने इतिहास को गाकर व रटकर इसे जिंदा बनाएं रखा। यही वजह है कि यह इतिहास धीरे-धीरे काव्यमय और श्रृंगारिक हो गया।
हिन्दू धर्म पर विज्ञान प्रत्येक वस्तु व विचार का गहनता से मूल्यांकन कर रहा है। इस दौरान कई विश्वास मत, आस्था और सिद्धान्त गलत साबित हो रहे है। इन वैज्ञानिक तथ्यों के प्रहारों से हिन्दु धर्म को डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसका मूलभूत नियमों का तार्किक आधार है।
हिन्दू धर्म एक जीवन पद्धति है जो धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को मानकर समाज को मानसिक, नैतिक, भौतिक व आध्यात्मिक प्रगति का मौका देता है। हिन्दू धर्म में किसी एक भगवान की पूजा नहीं की जाती, किसी एक विचार के समर्थक या किसी एक मान्यताओं से बधां हुआ नहीं है। हिन्दू धर्म किसी एक विचारधारा या किसी एक पूजा पद्धति या फिर रीति-रिवाज को नहीं मानता। आज हम जिस हिन्दू संस्कृति के रूप में जानते हैं या जिसे भारतीय मूल के लोग सनातन धर्म कहते हैं वह यह उस जाति धर्म से बड़ा सिद्धान्त है। कोई किसी भगवान में आस्था या विश्वास रखे या न रखे, लेकिन फिर भी वह हिन्दू है। क्योंकि यह एक जीवन पद्धति है।