जानिए कितने क्विंटल गेंदा के फूलों से सजाया गया Kedarnath Temple
देहरादून। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने केदारनाथ मंदिर ( Kedarnath Temple ) को 20 क्विंटल गेंदा के फूलों से सजाया है। बिजली की रंग-बिरंगी लाइटें मंदिर की भव्यता को चार चांद लगा रही हैं। ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर से 26 अप्रैल को ही भगवान केदार की उत्सव डोली केदारनाथ के लिए रवाना हुई थी। पहले रात्रि फाटा और दूसरी रात गौरीकुंड में प्रवास के बाद यह डोली शनिवार दोपहर पौने तीन बजे केदारनाथ पहुंची थी।
रविवार को हजारों भक्तों की मौजूदगी में मंदिर के कपाट खोले गए। कल यानी 30 अप्रैल को सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर बदरीनाथ मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। इस वर्ष चारधाम यात्रा की शुरुआत 18 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ हुई है। हर साल भैया दूज पर भगवान आशुतोष के 11वें ज्योर्तिलिंग केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं। इसके पीछे एक कहानी छुपी हुई है।
Baba Kedar की शीतकाल के छह माह पूजा की जाती है
भैया दूज पर शीतकाल के लिए कपाट बंद होने के बाद बाबा की चल विग्रह डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचती हैं, जहां बाबा केदार की शीतकाल के छह माह पूजा की जाती है। केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग ने बताते हैं कि कुरुक्षेत्र युद्ध के उपरांत अपने पित्रों का कर्मकांड करने के बाद पांडवों को भैयादूज के दिन ही स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी। इसलिए भैया दूज से शीतकाल प्रारंभ माना जाता है और पंरपराओं के अनुरुप बाबा केदार के कपाट बंद किए जाते हैं।
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने केदारनाथ के मंदिर को 20 कुंतल गेंदा के फूलों से सजाया है। बिजली की रंग-बिरंगी लाइटें मंदिर की भव्यता को चार चांद लगा रही हैं। बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह ने बताया कि मंदिर को सजाने के लिए ऋषिकेश से 26 अप्रैल को फूल केदारनाथ पहुंचा दिए गए थे। फूलों के साथ बेलपत्री, आम और पीपल के पत्तों की माला का भी उपयोग किया गया है।