माहरा ने मेयर व विधायक पर लगाए जमीनें खुर्द-बुर्द करने के आरोप

Karan Mahara accused the Mayor and MLA of destroying land

Karan Mahara accused the Mayor and MLA of destroying land

भाजपा पार्षद की ओर से मांगी गई आरटीआई में हुआ खुलासाः कांग्रेस
सिद्धार्थ पैरामेडिकल कॉलेज पर निगम की 6 बीघा जमीन कब्जाने का मामला

देहरादून। Karan Mahara accused the Mayor and MLA of destroying land उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने सरकारी जमीनों पर हो रहे कब्जों को लेकर धामी सरकार पर बड़ा हमला बोला हैं। शनिवार को प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकारों से बातचीत में माहरा ने भाजपा के मेयर और विधायक पर जमीनें खुर्द-बुर्द करने व कब्जाने का संगीन आरोप लगाया है।

माहरा ने कहा कि भाजपा के ही पार्षद ने जमीन कब्जाने का आरोप लगाया है, लेकिन सरकार और नगर निगम मामले पर कार्रवाई करने से पीछे हट रहा है। दूसरी तरफ हरिद्वार में संतों ने भी भाजपा विधायक पर जमीन कब्जाने का आरोप लगाया है, जब भी सरकार चुप है।

माहरा ने कहा कि विगत कुछ महिनों से लगातार सरकार की ओर से लैण्ड जिहाद को बडे पैमाने पर महिमामंडित किया जा रहा है। माहरा ने कहा कि उत्तराखण्ड कांग्रेस की रिसर्च टीम ने उत्तराखण्ड सूचना आयोग देहरादून की वेब-साइड से एक प्रकरण निकाला है, शिकायतकर्ता अजय सिंघल जो कि भाजपा के झण्डा वार्ड 27 से लम्बे समय से पार्षद रहे हैं, उन्होंने लोकसूचना अधिकारी नगर निगम देहरादून को 30 मार्च 2022 पत्र लिखकर दो बिन्दुओं पर सूचना मांगी।

जिसमें डाण्डा लखौण्ड सहस्त्रधारा रोड, वर्तमान में नगर निगम क्षेत्र में सिद्धार्थ पैरा मेडिकल कॉलेज की ओर से डबल कॉलम में तीन माह पहले सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर ऑडिटोरियम निर्माण की शिकायत की गयी थी उस पर क्या कार्रवाही हुयी। दूसरा भूमि यदि अतिक्रमण हुआ है तो निगम उसे खाली कराने के लिए क्या कार्रवाही कर रहा है।

अजय सिंघल का पक्ष सुनते हुए व सम्पूर्ण पत्रावली का अवलोकन करते हुए आयोग ने पाया कि अजय सिंघल ने डाण्डा लखौण्ड स्थित सिद्धार्थ पैरा मेडिकल कॉलेज की ओर से नगर निगम देहरादून की लगभग 6 बीघा भूमि पर कब्जे की शिकायत नगर आयुक्त से की थी। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत अजय सिंघल ने आरटीआई भी लगाई थी।

रिपार्ट पर कोई कार्रवाही आतिथि तक नही हुई है

अजय सिंघल जो स्वयं सत्तारूढ दल के जनप्रतिनिधि (नगर निगम के कई बार के पार्षद है) का कथन है कि निगम ने उन्हें गुमराह किया जा रहा है, और उनके शिकायत पत्र पर 12 अगस्त 2022 तक भी कोई कार्रवाही नही की गयी।

अजय सिंघल का आरोप है कि उनकी शिकायत को निगम ने गम्भीरता से नही लिया, जिसके चलते उन्हें सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का सहारा लेना पडा। नतीजा यह हुआ कि प्रथम अपील के बाद निगम को एक संयुक्त टीम का गठन कर उल्लेखित स्थल की जाँच करानी पडी।

12 अगस्त 2022 को संयुक्त टीम की जॉच रिपोर्ट में पुछि भी हुयी कि सिद्धार्थ पैरामेडिकल कॉलेज की ओर से अलग-अलग खसरा संख्या में नगर निगम की 0.3196 हैक्टर (3.5 बीघा) पर कब्जा हुआ है। संयुक्त टीम की रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट हुआ है कि रिपार्ट पर कोई कार्रवाही आतिथि तक नही हुई है।

अजय सिंघल का कहना है कि यह सूचना भी गुमराह करने वाली है। उनके अनुसार निगम की रिपार्ट में 0.3196 हेक्टर पर कब्जा पाया गया है लेकिन बेदखली की कार्रवाही मात्र 0.030 है. पर ही की जाएगी।
नगर निगम की कार्रवाही में भारी विरोधाभास पाया गया है।

नगर निगम की 6 बीघा जमीन पर एक प्राईवेट संस्था का कब्जा है जो कि जनहित में मुक्त होनी चाहिए। हैरानी की बात यह है कि जब वहाँ एक सत्तारूढ दल के जनप्रतिनिधि की सुनवाई नही है तो कैसे उम्मीद की जाए कि वहाँ जनता सुनवाई होती होगी।

बड़ा सवाल यह है कि नगर निगम देहरादून किसके लिए है? देहरादून नगर की जनता के लिए? या कुछ खास लोगो के लिए? निगम की जमीने खुलेआम कब्जा हो रही हैं, खुर्द-बुर्द की जा रही है। नगर निगम मूक दर्शक बना हुआ है। इसे नगर निगम की सलिप्तता माना जाए। इसे क्या कहना चाहिए लूट की खुली छुट, साजिश, अराजकता, लापरवाही, अकरमन्यता या संरक्षण।

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