जर्नलिस्ट यूनियन आफ उत्तराखंड ने मनाया पत्रकारिता बचाओ दिवस

Journalist Union of Uttarakhand celebrated Save Journalism Day

अपने संवैधानिक एंव मौलिक अधिकारों के प्रति पत्रकार एकजुट हों : प्रवीन मेहता

देहरादूनl Journalist Union of Uttarakhand celebrated Save Journalism Day इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन( आईजेयू) नई दिल्ली के आह्वान पर आज देश भर के पत्रकारों ने पत्रकारिता एवं लोकतंत्र बचाओ दिवस मनाया। इस अवसर पर जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ उत्तराखंड के बैनर तले पत्रकारों ने गोष्ठी के माध्यम से अपनी आवाज बुलन्द करते हुए सभी पत्रकारों से अपने संवैधानिक और मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होने का आह्वान किया ।


इससे पूर्व यूनियन ने देश को आजादी दिलाने वाले क्रान्तिकारियों के महानायक शहीदे आजम भगत सिंह,राजगुरू व सुखदेव की शहादत दिवस पर उन्हे याद करते हुए भावपूर्ण श्रदांजलि अर्पित की।


गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष उमाशंकर प्रवीण मेहता ने कहा की बार-बार यह दावा किया जाता है कि हमारे देश की मीडिया पूरी तरह से स्वतंत्र है। इससे बड़ा झूठ और कुछ नहीं है। सत्यता तो यह है कि यदि किसी को अपने विवेक से न तो लिखने की और न ही बोलने की स्वतन्त्रता है तो वे हमारे देश के पत्रकार हैं ।

आज पत्रकार डरा व सहमा है। सच्चाई उजागर करने वाले पत्रकारों की आए दिन हत्याएं हो रही हैं या उन्हें झूठे मुकदमों में फंसा कर जेल भेजा जा रहा है। यकीनन यह सब चलता रहा तो मीडिया का अस्तित्व ही मिट जाएगा ।उन्होने कहा सरकारे कभी नही चाहती कि उनसे कोई सवाल पूछे। जो पत्रकार सवाल पूछता है उसे वह नापसन्द करते है। यह परम्परा लोकतन्त्र के लिए घातक है।

यूनियन के प्रदेश महामंत्री गिरीश पन्त ने कहा कि इस लोकतंत्र को खड़ा करने के लिए जिन चार स्तम्भों का इस्तेमाल होता है उनमें से चौथा स्तम्भ आज लहुलूहान है। पत्रकार मारे जा रहे हैं, कुचले जा रहे है या अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं। कलम की राह की दुश्वारियां किस हद तक पहुंच चुकी है कि यह सवाल हमें बखूबी अभिव्यक्ति के खतरों का एहसास कराता है। उन्होंने कहा गठबंधनवादी सियासत पर कुछ लिखो तो खतरा पैदा हो जाता है ।

खनन माफिया,वन माफिया,दवा माफिया,शिक्षा माफिया या नेतागण की पोल खोलो तो खतरा पैदा हो जाता है । इसके लिए तमाम पत्रकारों को अपनी जान की कीमत चुकानी पड़ती है । अब सवाल यह नही है कि इस देश मे बेबाक पत्रकार कैसे बचेगे। सवाल यह है कि इस देश में बेबाक,निष्पक्ष व निडर पत्रकारिता बचेगी या नहीं। क्या अब पत्रकार सिर्फ पत्रकार बन कर ही जिंदा रह सकता है या दरबारी बनकर। उन्होंने कहा देश के सभी राज्यों में पत्रकारों के साथ जो बदसलूकी हो रही है वह चिंतनीय है।

यूनियन के जिला अध्यक्ष मो0 शाहनजर ने कहा कि मीडिया के खिलाफ सुनियोजित हमलों में प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग द्वारा मीडिया प्रकाशनों के कार्यालयों व उन पत्रकारों के घरो पर छापे मारे गए जो केंद्र की नीतियों के प्रति आलोचनात्मक रूख रखते थे। उन्होने कहा आज पत्रकारिता के मापदंडों में आए परिवर्तन का मुकाबला पत्रकारों को दृढ इच्छा शक्ति से करना होगा। यूनियन के जिला महामंत्री मूलचंद शीर्षवाल ने कहा पत्रकार सुरक्षित रहे तो प्रजातंत्र बचेगा।

उन्होंने कहा मीडिया को कंट्रोल किए जाने की कोशिश की जा रही है जबकि पत्रकार का दायित्व समाज के प्रति होता है न कि सरकार के प्रति। यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष अधीर मुखर्जी ने कहा मीडिया मे बहुत बड़ी ताकत है। सरकारों द्दारा जब कभी भी जनविरोधी नीतियों को लागू करने की कोशिश की गयी तो मीडिया ने जनता की आवाज बनकर उसका विरोध किया। गोष्ठी के बाद यूनियन ने इस संबंध में उत्तराखंड के राज्यपाल को एक ज्ञापन भी प्रेषित किया।


इस अवसर पर यूनियन की प्रदेश कोषाध्यक्ष ललिता बलूनी, किशन सिंह गुसाईं यूनियन के जिला महामंत्री मूलचन्द शीर्षवाल, सतीश कुमार पुंडीर, मोहम्मद शाह नजर, अभिनव नायक, कुंवर सिंह सिद्दू ,अफरोज खान समीना, एस पी उनियाल, दीपक गुप्ता, अधीर मुखर्जी,जिला कोषाध्यक्ष ज्योति भट्ट ध्यानी समेत काफी संख्या मे पत्रकार शामिल रहे।