आईटीबीपी के जवान को आजीवन करावास की सजा

ITBP jawan Chandrashekhar
ITBP jawan Chandrashekhar को कोर्ट ने सुनाई आजीवन करावास की सजा

देहरादून । मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी (आईएएस एकेडमी) में दो वर्ष पूर्व हुए हत्याकांड में आईटीबीपी के जवान (ITBP jawan Chandrashekhar ) को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। जवान ने अपने ही ड्यूटी अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी थी, जबकि बीच-बचाव में आया एक अन्य जवान घायल हो गया था।

देहरादून में एडीजे तृतीय अजय चौधरी की अदालत 24 मार्च दोषी जवान को दोषी करार देते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। शासकीय अधिवक्ता जेके जोशी के अनुसार 10 जुलाई 2015 की शाम छह बजे मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में आईटीबीपी के जवान कांस्टेबल चंद्रशेखर निवासी ग्राम हररोट तहसील जयसिंहपुर कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ने इस घटना को अंजाम दिया। चंद्रशेखर ने अपने सीनियर दारोगा सुरेंद्र लाल पुत्र आत्माराम शर्मा निवासी 34 बटालियन आईटीबीपी को गोली मार दी।

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इसके चलते सुरेंद्र की मौत हो गई। बीच-बचाव के दौरान जवान अख्तर हुसैन पुत्र असलम खान निवासी 34 बटालियन आईटीबीपी घायल हुआ था। घटना के बाद चंद्रशेखर राइफल और 70 कारतूस लेकर फरार हो गया था। उसने दो दिन बाद चंडीगढ़ के सेक्टर 34 थाने में सरेंडर किया था। कोर्ट में सुनवाई के दौरान कुल 23 गवाह पेश हुए। बचाव पक्ष की ओर से एक भी गवाह नहीं आया। 24 मार्च को अदालत ने गवाहों के बयान और साक्ष्यों के मद्देनजर आईटीबीपी जवान चंद्रशेखर को हत्या का दोषी करार दिया था।

Chandrashekhar को जेल भेज दिया गया।

अब आज कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया। सजा सुनाते वक्त चंद्रशेखर कोर्ट में मौजूद रहा। जहां से उसे जेल भेज दिया गया। सुरक्षा के लिहाज से अतिसंवेदनशील आईएएस अकादमी मसूरी की सुरक्षा का जिम्मा भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के पास है। यहां जवानों के बीच हुई गोलीबारी ने कई सवाल खड़े हुए थे। मामले की जांच में सामने आया था कि आईटीबीपी कांस्टेबल चंद्रशेखर ड्यूटी के दौरान मोबाइल प्रयोग करता था, जिसे अनुशासनहीनता मानते हुए उपनिरीक्षक सुरेंद्र ने चंद्रशेखर को दो दिन की पिट्ठू परेड की सजा सुनाई थी। इससे खफा होकर ही उसने 10 जुलाई की शाम अपनी सर्विस एलएमजी से सुरेंद्र पर गोली चला दी थी।

घटना के बाद वह पूरी रात मसूरी के जंगल में छिपा रहा और अगले दिन तड़के भागकर चंडीगढ़ चला गया था। एडीजे थर्ड अजय चौधरी की अदालत ने आईटीबीपी के जवान चंद्रशेखर (ITBP jawan Chandrashekhar ) को दोषी ठहराए जाने के बाद सजा के लिए 31 मार्च तक की मोहलत मांगी थी। सुनवाई के दौरान आरोपी चंद्रशेखर के पैर कांपते रहे और वह बार-बार अपना चेहरा साफ कर रहा था। चंद्रशेखर ने कोर्ट में कहा कि इस महीने अंत में उसकी बहन की शादी है। रिश्ते पर कोई फर्क न पड़े इसलिए सजा 31 मार्च के बाद सुनाई जाए।

ITBP jawan Chandrashekhar ने कहा कि उसकी किसी जवान या अधिकारी से कोई रंजिश नहीं थी

हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि इस मामले में फैसला हो चुका है और अब सजा को रोक पाना संभव नहीं है। पूरे मामले में सुनवाई के दौरान चंद्रशेखर पहली बार कोर्ट के सामने बोला। उसे दोषी ठहराए जाने से पहले कोर्ट ने चंद्रशेखर से पूछा कि क्या वह कुछ कहना चाहते हैं तो चंद्रशेखर ने अपना पक्ष रखा। वह बोला कि उसकी किसी जवान या अधिकारी से कोई रंजिश नहीं थी। चंद्रशेखर ने बताया कि घटना वाले दिन दारोगा सुरेंद्र लाल ने उसे चाय बनाने को कहा।

चाय बनाने के बाद दरोगा ने उसे चाय परोसने के लिए कहा, लेकिन चाय देने के बजाय वह असलहा उठाकर ड्यूटी पर जाने लगा। तभी गुस्से में सुरेंद्र लाल उससे असलहा छीनने लगा, छीना-झपट्टी में ही एलएमजी का ट्रिगर दो बार दब गया और छह गोलियां चलीं। इसमें सुरेंद्र लाल की मौत हो गई। घटना के चश्मदीद गवाह जवान अख्तर हुसैन ने कोर्ट को बताया कि उसको तीन गोलियां लगी थीं। जिसमें चिकित्सकों ने दो गोलियां निकाल दी थीं, लेकिन अभी भी एक गोली पेट में ही है। अख्तर हुसैन भी इसी बटालियन का सिपाही हैं। घटना के बाद पूरी यूनिट को अकादमी से हटा दिया गया था। इस समय यूनिट नैनीताल में तैनात है।