कैसे एक नाबालिग बच्चा बन गया मां का हत्यारा

How a minor child becomes mother's killer

How a minor child becomes mother’s killer

दो दिन तक शव के साथ रहा,आई बदबू तो छिड़का रूम फ्रेशनर
ऑनलाइन गेम की लत,रोक-टोक नापसंद था

शादाब अली

लखनऊ| How a minor child becomes mother’s killer बीती रात एक ऐसी खबर सामने आई, जिसे सुनकर शहर भर में सनसनी फैल गई। एक बच्चे के हाथों उसकी मां का खून हो जाना… वह भी इस वजह से कि मां ने वीडियो गेम खेलने से मना कर दिया था! यह खबर मामूली नहीं है।

यह ऐसी खबर नहीं है, जिसे केवल पढ़ कर आगे बढ़ जाया जाए या नजरअंदाज कर दिया जाए। इस खबर को आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि हम आज बच्चों के लिए कैसी स्थिति पैदा कर रहे हैं, कैसा वातावरण बना रहे हैं। यहां पढ़िए पूरी जानकारी…

वो महज़ 16 साल का लड़का है, वो 10वीं क्लास का छात्र है। उसे ऑनलाइन गेम खेलना बेहद पसंद है. इंटरनेट पर वक्त बिताना उसका शगल बन चुका है। इंस्टाग्राम उसकी जिंदगी का खास हिस्सा है, वो घर में हो या घर के बाहर उसका मोबाइल और इंटरनेट ही उसका असली हमराह होता है।

उसे किसी का रोकना टोकना पसंद नहीं, उसे आजादी प्यारी है। वो जिंदगी को अपने अंदाज में जीना चाहता है और इसी चाहत ने उस लड़के को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। उसे एक कातिल बना दिया। कातिल भी किसी ओर का नहीं बल्कि उस औरत का जिसने उसे 9 माह तक पेट में रखा और पैदा होने के बाद उसकी परवरिश की।

7 जून, मंगलवार की रात 9 बजे

लखनऊ के पीजीआई पुलिस स्टेशन में फोन की घंटी बजती है। सामने से एक शख्स बताता है की वृदांवन कॉलोनी के एक घर में एक लाश पड़ी है। किसी बिजली मैकेनिक ने घर में रहने वाली 40 साल की साधना का क़त्ल कर दिया है।

फ़ोन करने वाले ने ये भी बताया कि वो साधना का भाई है और साधना के पति भारतीय सेना में जेसीओ हैं और इस वक्त आसनसोल में पोस्टेड हैं। सूचना मिलते ही फ़ौरन पुलिस की टीम वृंदावन कॉलोनी की तरफ निकल पड़ती है।

घर के अंदर का मंज़र बेहद अजीब था

पुलिस वृंदावन कॉलोनी के उस घर में पहुंची, जहां एक लाश पड़ी होने की ख़बर मिली थी। पुलिस की टीम जैसे ही अंदर दाखिल होती है सांस लेना दुश्वार हो जाता है। अंदर तेज़ बदबू थी। घर के अंदर का मंज़र खौफनाक और बेहद अजीब था। एक कमरे में बेड पर एक महिला की लाश पड़ी थी।

जबकि कमरे के बाहर दो बच्चे थे, एक 16 साल का लड़का और दूसरी 10 साल की उसकी बहन। लाश की हालत देख कर पहली ही नज़र में ये साफ हो गया था कि क़त्ल हुए 3,4 दिन हो चुके हैं। लाश की हालत बेहद ख़राब थी। पुलिस लाश को फ़ौरन अस्पताल भिजवा देती है। अब बारी क़त्ल और लाश की पहेली सुलझाने की थी।

पूछताछ के बाद पुलिस को हुआ बेटे पर शक

साधना के अलावा इस घर में बस उसके दो ही बच्चे थे। यानि यही दोनों इकलौते चश्मदीद थे| अब लड़के ने पुलिस को कहानी सुनाते हुए कहा कि सोमवार को एक बिजली वाले अंकल आए थे। मम्मी से उसका झगड़ा हुआ।

इसके बाद उसी ने मम्मी को मार दिया। इसके बाद पुलिस ने उस लड़के से कई और सवाल पूछे। आस-प़ड़ोस के लोगों से भी पूछताछ की। इन तमाम पूछताछ के बाद पुलिस को लड़के की बात पर शक हुआ। शक की कई वजह थी।

लड़के के मुताबिक उसकी मां का क़त्ल 24 घंटे पहले हुआ था। जबकि लाश की हालत बता रही थी कि क़त्ल 3-4 दिन पहले हुआ। पड़ोसियों का बयान था कि उन्होंने किसी भी बाहरी शख्स को घर में आते नहीं देखा था।

बेहद डरी, सहमी, बच्ची ने जो बात बताई उसने पुलिस वालों को भी सन्न कर दिया। पड़ोसियों से पूछताछ में लड़के का एक और झूठ सामने आया। उसने पड़ोसियों को ये बता रखा था कि मम्मी रविवार को चाचा के घर चली गई। क्योंकि दादी बीमार हैं।

जबकि न दादी बीमार थी ना साधना ससुराल गई थी। इसके अलावा पूछताछ के दौरान पुलिस ने नोटिस किया कि घर में मौजूद 10 साल की बच्ची बेहद डरी सहमी है। अब पुलिस ने बच्ची को भरोसे में लिया। फिर उससे प्यार से पूछताछ की। फिर क्या था। बच्ची ने जो बात बताई उसने पुलिस वालों को भी सन्न कर दिया।

बेटे ने कबूल किया मां का मर्डर

बहन की बात सुनने के बाद अब लड़के के पास कोई रास्ता नहीं था। इसके बाद उसने पूरी कहानी सुनाई| एक ऐसी कहानी जो शायद दुनिया के हर मां-बाप को परेशान कर दे। 16 साल के उस बेटे ने अपने हाथों से अपनी मां के सिर में गोली मारी थी। सिर्फ इसीलिए क्योंकि उसे मां का टोकना, पढ़ने के लिए कहना, मोबाइल से दूर रहने की हिदायत देना। किसी क़ैद और बंदिश की तरह लगता था जबकि वो आज़ादी चाहता था।

मोबाइल पर बिताता था ज्यादातर वक्त

लखनऊ में साधना अपने दो बच्चों के साथ रहा करती थी। पति चुकि सेना में है। लिहाज़ा ज़्यादातर बाहर ही रहते हैं। साधना का 16 साल का बेटा 10वीं में पढ़ता है। जबकि बेटी चौथी क्लास में है। साधना पढ़ाई-लिखाई को लेकर अक्सर अपने बेटे को समझाती रहती थी।

अब तो उसके बोर्ड का भी इम्तेहान था। लेकिन बेटा पढ़ाई से ज़्यादा मोबाइल में ही उलझा रहता था। इंटरनेट, इंस्टाग्राम, पबजी जैसे दूसरे ऑनलाइन गेम्स में ही उसका ज़्यादातर वक़्त बीतता था।

कत्ल से पहले मां ने बेटे को लगाई थी डांट

लखनऊ के एडिशनल डीसीपी एस.एम. कासिम आबिदी के अनुसार शनिवार को इस वारदात की शुरुआत तब हुई जब साधना के घर में रखे 10 हज़ार रूपये ग़ायब हो गए। इसे लेकर उसने अपने बेटे को खूब डांटा। घर में वो पहले भी कई बार पैसे चुरा चुका था।

मगर इस बार साधना 10 हज़ार रुपये खुद कहीं और रखकर भूल गई थी। बाद में वो पैसे उसे मिल भी गए, फिर रात को साधना और दोनों बच्चे खाना खाकर सो गए। लेकिन साधना का बेटा जाग रहा था। रात करीब 2 से 3 के दरम्यान वो बिस्तर से उठा और अलमारी खोली। उसे पता था उसके पापा का लाइसेंसी रिवॉल्वर अलमारी में कहां रखा होता है।

सिर में गोली मारकर किया सोती हुई मां का कत्ल

उसने रिवॉल्वर निकाली। इत्तेफ़ाक से रिवॉल्वर अनलॉक था। बेड पर उसकी मां और छोटी बहन गहरी नींद में थे। रिवॉल्वर लेकर वो सोई हुई मां के क़रीब गया और बेहद करीब से सिर पर गोली मार दी। गोली की आवाज़ सुनकर छोटी बहन उठ चुकी थी।

मां को खून से लथपथ देख वो रोने लगी। भाई ने अब बहन को धमकाया। कहा अगर उसने किसी से कुछ कहा या रोई चिल्लाई तो वो उसे भी मार देगा। छोटी सी बच्ची सहम गई। इसके बाद वो अपनी बहन को लेकर बराबर के दूसरे कमरे में चला गया। कमरे का दरवाज़ा बंद किया और सो गया।

कत्ल के बाद संडे किया इंजॉय

अगले दिन रविवार था। हर रविवार वो सुबह क्रिकेट खेलने जाया करता था। रविवार सुबह भी अपनी बहन को कमरे में बंद कर वो क्रिकेट खेलने चला गया। वापस आकर फिर पूरे दिन और रात लैपटॉप पर मूवी देखी, मोबाइल पर गेम खेला और फिर बहन के साथ दूसरे कमरे मे सो गया।

लाश की बदबू दबाने का लिए डालता रहा रूम फ्रेशनर

पड़ोसियों ने जब नोटिस किया कि साधना घर के बाहर दिखाई नहीं दे रही है तो उन्होंने पूछताछ की। साधना के बेटे ने तब उन्हें कहानी सुनाई की मम्मी चाचा के घर गईं हैं क्योंकि दादी बीमार हैं। इसके बाद अगले दो दिनों तक पड़ोसियों ने ही इन दोनों को खाना खिलाया।

दूसरे दिन से अचानक घर में बदबू आने लगी। 16 साल के इस नाबालिग को ये मालूम था कि बदबू कैसे दबाएं। उसने पूरे घर में रूम फ्रेशनर डालना शुरू कर दिया। इससे बदबू कुछ कम हो गई। लेकिन अब तीन दिन हो चुके थे। गर्मी भी बेहद तेज़ थी। ऐसे में लाश की हालत ख़राब होने लगी। अब बदबू और तेज़ी से फैलने लगी।

घबराकर किया पिता को फोन

मंगलवार शाम तक ये हालत हो गई कि घर के अंदर सांस लेना भी मुश्किल हो गया। रूम फ्रेशनर भी अब काम नहीं कर पा रहा था। लड़का घबरा गया, उसे लगा कि कहीं पड़ोसी घर के अंदर ना आ जाएं। मां की लाश का राज़ छुपाना अब मुश्किल था।

लिहाज़ा मंगलवार की रात उसने आसनसोल अपने पापा को फ़ोन मिलाया। फ़ोन पर कहा कि बिजली मिस्त्री ने मम्मी को मार दिया है. पापा ये सुनकर घबरा गए। उन्होंने तुरंत लखनऊ में अपने साले को घर जाने को कहा। साधना का भाई घर आया। लाश देखी और पुलिस को फ़ोन किया।

मां का रोकना-टोकना था नागवार

पूरी कहानी सुनने के बाद पुलिस ने जब नाबालिग से पूछा कि तुमने ऐसा क्यों किया तो उसने जो भी इसकी वजब बताई। उन सारी वजहों के पीछे एक ही वजह थी। उसे मां का टोकना, मोबाइल से दूर रहना, गेम खेलने से मना करना, सख़्त नागवार था।

मां के कत्ल से नहीं पड़ा फर्क

लखनऊ के एडिशनल डीसीपी एस.एम. कासिम आबिदी के मुताबिक क़त्ल के बाद अगले तीन दिनों तक एक ही घर में मां की लाश की साथ रहने के बावजूद इस लड़के की रुटीन, उसके शौक, उसकी सोच, उसके मूड, उसके मिजाज़ पर कोई फ़र्क नहीं पड़ा। कुछ वक्त तो इसने खुद से खाना बनाया। मां के क़त्ल के बाद मानो इसे और आज़ादी मिल चुकी थी। इसीलिए तीन दिनों तक मां की लाश को नज़रअंदाज़ कर घर में मूवी देखी, गेम खेला और बाहर दोस्तों के साथ पार्टी भी की।

केस में तीसरे शख्स की एंट्री

नाबालिग कातिल से पूछताछ के दौरान पुलिस के सामने एक तीसरे शख्स का खुलासा भी हुआ है. जो साधना के घर आया-जाया करता था। लेकिन साधना के बेटे को उसका अपने घर आना बिल्कुल पसंद नहीं था।

इसी बात को लेकर कई बार उसकी अपनी मां के साथ कहासुनी भी हुई थी। उस तीसरे शख्स को लेकर लड़के ने अपने पिता से भी शिकायत की थी, जिसके बाद मां ने उसे बहुत पीटा था। ऐसे में हत्या के इस मामले में एक और वजह जुड़ चुकी है। एक तरफ उस तीसरे शख्स की एंट्री से इस केस के समीकरण बदले हैं तो वहीं ऑनलाइन गेम की लत वाला कारण भी धुंधला हुआ है।

अब तीसरे शख्स की भूमिका को लेकर भी पुलिस जांच में जुट गई है। हालांकि ये भी साफ नहीं है कि तीसरे शख्स वाला पहलू सही है या नहीं। क्योंकि इस एंगल का आधार आरोपी लड़के का जवाब है। लिहाजा पुलिस के लिए ये जानना ज़रूरी हो गया है कि लड़का झूठ बोल रहा है या सच।

नाबालिग कातिल जाएगा बाल सुधार गृह

हालाकि उस लड़के की उम्र 16 साल है। लेकिन इस क़त्ल को बचपने में किया गया क़त्ल हरगिज़ नहीं कह सकते। लेकिन क़ानून के बचपने का क्या करें। चूंकि अभी वो 18 का हुआ नहीं है। वह नाबालिग है। तो उसे जेल भी नहीं भेजा जा सकता। लिहाजा अब उसे बाल सुधार गृह जाएगा। जहां उसे तीन या उससे भी कम साल कर रहना होगा। इसके बाद उसकी रिहाई होगी|

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