Hooliganism of land mafia
देहरादून। Hooliganism of land mafia जब से उत्तराखंड राज्य बना है तब से मानो भू-माफियाओं का राज आ गया है, खाली पड़ी जमीनों पर कब्जा करना, जमीनों के कागजो में फर्जीवाड़ा करके उन्हे बेच देना उत्तराखंड में आम हो चुका हैं और इसमें बड़ी तेजी से इजाफा हो रहा है।
प्रदेश में इन फर्जीवाड़ो को रोकने के लिए एसआईटी गठन किया गया लेकिन यह कम होने के बजाये भू-अपराधों में लगातार इजाफा हो रहा है।
खाली पड़ी जमीनों पर भू-माफिया अपनी नजर गड़ाए बैठे रहते हैं, जैसे ही उन्हें मौका मिलता है, वह उस जमीन को कब्जा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। साथ ही ये लोग सरकारी व नगर निगम की खाली पड़ी भूमि कोे भी अपने कब्जे में ले लेते हैं और बड़े आराम से इन जमीनों को इनके द्वारा खुर्दपुर कर दिया जाता है।
इसी तरह का एक मामला राजपूर रोड फव्वारा चैक के पास का सामने आया है जहां पर पिछले 40 साल से रह रही एक वृद्धा जिसका नाम रतन कौर है उससे मारपीट करके जमीन से हटा दिया गया है।
वृद्धा का आरोप है कि राजपाल व हरेन्द्र नामक व्यक्ति कुछ साल पहले मेरे यहां आकर कई-कई दिन तक रहते थे। इसी बीच इन्होने, जिस पर मैं पिछले 40 सालो से रह रही थी उस जमीन के कागजो में हेरा फेरी करके यह जमीन अपने नाम कर ली। और अब इन लोगो ने मारपीट करके मुझे इस जमीन से बेदखल कर दिया है।
जमीन से लगी हुई नगर निगम की जमीन है
साथ ही इस जमीन से लगी हुई नगर निगम की जमीन है जिस पर 4-5 परिवार पिछले 20-25 सालो से रह रहे हैं। उनको भी डरा धमका के और मारपीट करके खाली करवा दिया है।
वहीं दूसरी तरफ पीड़िता सलमा ने राजपाल और हरेन्द्र पर आरोप लगाते हुये कहा कि इन लोगो का झगड़ा निजी सम्पत्ति को लेकर था, उनके जमीन से हमे कोई लेना देना नहीं था, और हम पिछले 20 वर्षो से सीटी बोर्ड की जमीन पर रह रहे हैं, फिर भी इन लोगो ने हमसे मारपीट करके हमे हमारे घरो से निकाल दिया है।
सलमा ने पुलिस पर भी आरोप लगाते हुये कहा कि जब हम लोग पुलिस चौकी व थाने गये तो पुलिस ने हमसे यह कहा कि जब तूम मर जाओगे तो हम तुम्हे उठाकर फेंक देंगे।
जब पुलिस ही ऐसे कहेगी तो हम कहां जायेंगे। पुलिस ने हमारी रिपोर्ट तक नहीं लिखी। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन और यह भू-माफिया आपस में मिले हुये हैं।
अब सवाल यह उठता है कि सिटी बोर्ड की जमीन पर कोई दूसरा व्यक्ति किस हक से किसी को हटा सकता है। इसके पीछे की मंशा को समझा जा सकता है और आखिर पुलिस इस विषय पर इतनी शांत क्यों बैठी है?
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