नई दिल्ली। दिल्ली में प्रदूषण को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को एक बार फिर कड़ी पफटकार लगाई है। गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि दिल्घ्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हो गई है लेकिन सरकार को केवल अपनी राजनीति और वोटों की चिंता है उन लोगों की नहीं जो यह वोट देते हैं। अदालत ने आगे कहा कि यह प्रदूषण सांस से संबधित कई तरह की बिमारियों का कारण बनता है खासतौर पर बच्घ्चों और उम्रदराज लोगों में।
बढ़ता हुआ प्रदूषण एक आम व्यक्ति के स्वस्थ्य हवा में सांस लेने के अधिकार का उल्लंघन करता है और इसके लिए एजेंसियों को माफ नहीं किया जाएगा। वहीं दूसरी तरपफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने भी सरकार को इस मामले में डांट फिलाई है। एनजीटी ने पटाखों को लेकर गाइडलाइन बनाने के निर्देश देने के साथ ही अस्घ्थाई रूप से थर्मल पावर प्घ्लांट और निर्माण कार्यों को बंद करने की बात कही है। इसके अलावा एनजीटी ने केंद्र, दिल्ली, यूपी, पंजाब, राजस्घ्थान और हरियाणा से कहा है कि वो प्रदूषण पर काबू पाने के लिए राज्घ्य स्घ्तरीय माॅनिटरिंग कमेटी बनाए। साथ ही दिल्घ्ली में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की बात भी दोहराई।