हाईकोर्ट को शिफ्ट किये जाने को बार एसोसिएशन का विरोध

High Court Bar Association protest

High Court Bar Association protest

नैनीताल। High Court Bar Association protest नैनीताल से उत्तराखंड हाईकोर्ट को अन्यत्र शिफ्ट किये जाने के विचार को राज्य गठन की मूल अवधारणा के खिलाफ बताते हुए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इस विचार का कड़ा विरोध किया है।

साथ ही हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश से आग्रह किया है कि यदि इस सम्बंध में प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई पत्र जारी हुआ है तो उसे सार्वजनिक किया जाय। वक्ताओं ने कहा कि यदि जबरन हाईकोर्ट को शिफ्ट करने की कोशिश हुई तो इसके खिलाफ भीषण जनांदोलन होगा और मांग होगी कि हाईकोर्ट व राज्य की स्थायी राजधानी गैरसैण स्थापित की जाये।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य सौगात में नहीं मिला है इसके लिए 43 आंदोलनकारियों ने कुर्बानी दी है कई मां बहनों की इज्जत लूटी गई थी। इन संघर्षों से बने राज्य के हाईकोर्ट को मात्र 19 साल में ही अन्यत्र शिफ्ट करने का विचार आपत्तिजनक है।

इस आमसभा की अध्यक्षता करते हुए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पूरन सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड पर्वतीय राज्य है और इस राज्य की राजधानी व हाईकोर्ट पहाड़ में ही होना चाहिये।

राज्य की मूल अवधारणा के खिलाफ

राज्य गठन के समय गम्भीर विचार विमर्श के बाद नैनीताल में हाईकोर्ट की स्थापना हुई थी। लेकिन मात्र 19 वर्ष में ही इस हाईकोर्ट को अन्यत्र शिफ्ट करने पर विचार किया जा रहा है। जो कि राज्य की मूल अवधारणा के खिलाफ है।

पूरन बिष्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को शिफ्ट करने को लेकर बार एसोसिएशन अपनी सहमति नहीं देगा और इस विचार का विरोध करेगा। अधिवक्ता त्रिभुवन सिंह फत्र्याल ने हाईकोर्ट शिफ्ट करने के विचार की कड़े शब्दों में आलोचना की।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड पहाड़ी राज्य है। इसलिए यहां काम कर रहे अधिकारियों, कर्मचारियों व अन्य को अपने निजी स्वार्थ के बजाय पर्वतीय क्षेत्र के विकास और उत्तराखंड राज्य की मूल अवधारणा को ध्यान में रखना होगा।

किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा

राज्य आंदोलनकारी व अधिवक्ता रमन शाह ने जय उत्तराखण्ड कहकर अपनी बात शुरू की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड हाईकोर्ट शिफ्ट करने के विचार को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

बैठक का संचालन हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव जयवर्धन कांडपाल ने किया। इस मौके पर उपाध्यक्षा श्रुति जोशी, बीएस कोरंगा, पुष्पा जोशी, सीएस रावत, डॉ. सीएस जोशी, बी एस नेगी, एस के मिश्रा, जानकी सूर्या, सैय्यद नदीम मून, ललित बेलवाल, राजेश जोशी, भुवनेश जोशी, योगेश पचैलिया सहित बड़ी संख्या में अधिवक्तागण मौजूद थे।

अधिवक्ताओं की भीड़ से बार सभाकक्ष खचाखच भर हुआ था। किंतु पिछले दिनों मुख्य न्यायधीश द्वारा जिन वरिष्ठ अधिवक्ताओं को इस मामले में चर्चा के लिये बुलाया था उनमें से कोई भी वरिष्ठ अधिवक्ता आज आयोजित हुई आम सभा में नहीं पहुंचे।

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