Heli service is being operated by ignoring the rules
देहरादून। Heli service is being operated by ignoring the rules चारधाम यात्रा में नियम कानूनों को ताक पर रखकर हेली सेवाओं का संचालन किया जाना यात्रियों की जान पर भारी पड़ रहा है। 15 जून को गौरीकुंड के जंगलों में हुई हेली दुर्घटना जिसमें सात लोगों की जान चली गई, की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि हेलीकॉप्टर के वाइपर काम नहीं कर रहे थे। धुंध व फाग के कारण विजिबिलिटी कम होने और वाइपर के काम न करने के कारण हेलीकॉप्टर पहाड़ी से टकराया और पलक झपकते ही सब खत्म हो गया।
वहीं दूसरी तरफ नियमों के अनुसार 6 बजे के बाद ही हेली सेवा शुरू होने की गाइडलाइन है। लेकिन यह हेलीकॉप्टर निर्धारित समय से पूर्व ही उड़ान पर निकल चुका था। अगर इन दोनों कारणों पर गौर किया जाए तो हेली सेवाओं के नियम कानूनो का अनुपालन तो हो ही नहीं रहा है इसके साथ ही उनकी उड़ान पूर्व फिटनेस जांच में भी भारी लापरवाही बरती जा रही है।
उधर एक और अन्य बात जो सामने आई है वह मौसम विभाग की चेतावनी को अनदेखा किया जाना। मौसम विभाग के डायरेक्टर डॉक्टर विक्रम सिंह का कहना है कि जब खराब मौसम का फोरकास्ट जारी किया गया था तब फिर हेली उड़ानों को रोका जाना चाहिए था उनका कहना है कि दुर्घटना किस कारण से हुई उन्हें नहीं पता लेकिन मौसम के खराब रहने को लेकर 12 घंटे पहले ही चेतावनी जारी की जा चुकी थी।
अब सभी हेली कंपनियों के हेलीकॉप्टरों को सहस्त्रधारा हैली पैड पर खड़ा कर दिया गया है। भले ही कल से फिर इनका पुनः संचालन शुरू हो जाए तथा एएआईवी की टीम के भी जांच के लिए आने की बात कही जा रही हो लेकिन नेता विपक्ष यशपाल आर्य ने राज्य में बिना किसी नियम कानून के संचालित होने वाली इन हेली सेवाओं पर यात्रियों की जान से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए कहां गया है कि इन मौतों और हादसों के लिए सरकार जिम्मेवार है।
उन्होंने अब तक हुए हादसों की जांच पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि अब तक किसी भी जांच की रिपोर्ट नहीं आई है कार्यवाही तो दूर की बात है। राज्य के इन हेली सेवाओं का संचालन 22 जून तक ही जारी रहेगा तथा मानसून काल में इसे बंद रखा जाएगा इसके बाद 15 सितंबर से यह सेवाएं फिर शुरू हो सकेंगी।
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