सरकारी बजट से कब्रिस्तान बनाने वाले अब संतों को मारने पर आमादा: आदित्यनाथ

Yogi adityanath

गोरखपुर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के फायर ब्राण्ड नेता और गोरक्षनाथ पीठाधीश्वर महंत आदित्यनाथ विधानसभा चुनाव में पार्टी की पूर्ण बहुमत जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त हैं। अपने बयानों के कारण सुर्खियों में रहने वाले आदित्यनाथ राममन्दिर को अभी भी अपना एजेण्डा बताते हैं, लेकिन वह इसके विवादरहित समाधान के पक्षधर होने की बात करते हैं। इसके साथ ही बेहद लोकप्रिय होने के बावजूद वह खुद को सीएम पफेस होने से इन्कार करते हैं। खास बात यह है कि अक्सर बाहरी इलाकों में हिंदुत्व को धार देने वाले नेता की पहचान बना चुके योगी का एक दूसरा रूप उनके गढ़ में भी दिखता है। यहां वह जितने लोकप्रिय हिंदुओं में है, कमोबेश उतने की लोकप्रिय मुसलमानों में भी हैं। मुसलमान समर्थकों की भारी फौज इनके सांप्रदायिक होने पर प्रश्नवाचक लगाती है। बावजूद इसके विरोधी दल इन्हें सांप्रदायिक कहने से नहीं चूकते। स्टार प्रचारक भी हैं। धर्म और राजनीति के अलग-अलग कार्य भी हैं। समन्वय कैसे स्थापित करते हैं?

जवाब- जीवन में हर क्षेत्र में समय प्रबंधन की जरूरत है। हमने भी समय बांट रखा है। उसी के अनुरूप दिनचर्या है। व्यस्तता तो है ही।

सवाल- आपके बयान बहुत डरावने होते हैं। विरोधी आपको तत्काल कम्युनल की उपाधि से नवाजने लगते हैं। एक वर्ग भी डर जाता है। आप क्या कहेंगे?

जवाब- मैं सच्ची बात कहता हूं। भला कोई सरकार एक वर्ग विशेष के लिए काम कराती है क्या? लेकिन सपा सरकार ने ऐसा किया है। कब्रिस्तानों को बनाने के लिए केवल पैसा दिया जाए और शवदाह गृह न बनें, यह किसी भी सरकार द्वारा किया जाना गलत है। अल्पसंख्यकों को प्रश्रय और बहुसंख्यकों को इग्नोर करना सर्वथा गलत है। सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए विरोधी मुझ पर प्रहार करते हैं। मैंने लव जिहाद का मुद्दा उठाया। संसद में कानून बना है। बहुत पहले से है। यह मजनुओं पर लागू करने को ही बना है। जो बहू-बेटियों को छेड़ते हैं, उन्हें तो सजा मिलनी ही चाहिए। मैं सरकारों के भेदभावात्मक रवैया के खिलाफ बोलता हूं। किसी वर्ग विशेष या जाति के खिलाफ नहीं। आप भी विचार कीजिए, सपा का एक मंत्री अपने निधि से कब्रिस्तान और कर्बला बनाता है। यह निधि खर्च करने के गाइड लाइन के खिलाफ है। हम भी अपने निधि से मंदिर का निर्माण नहीं करवा सकते हैं।

सवाल- बिजली नहीं आने की आपकी बात शायद मुख्यमंत्री को बहुत बुरी लगी है। बिजली की तार पकड़कर चेक करने की बात कह रहे हैं?

जवाब- पिता का अपमान करने वाले इस शख्स से ऐसे ही बर्ताव की उम्मीद की जा सकती है। अखिलेश अपने पिता की बेइज्जती कर चुके हैं। अब वे साधु-संतों को मार कर सत्ता काबिज करना चाहते हैं, लेकिन जनता सब जान चुकी है। यह सपाइयों की यह पुरानी आदत भी है। फिर मेरे हित में वह कैसे सोचेगा, जिसका संस्कार ही ऐसा है।

सवाल- क्या अयोध्या राम मंदिर निर्माण का मुद्दा अब भी आपके एजेंडे में है?

जवाब- हां, अब भी है, लेकिन हम संवैधानिक या बातचीत के तरीके से इसे हल करना चाहते हैं। इस पर पार्टी के बड़े नेताओं के कई बार बयान आ चुके हैं।

सवाल- केंद्र सरकार सफाई अभियान चला रही है। आपका मंदिर परिसर भी चमक रहा है, लेकिन जिस शहर से आपके सांसद हैं, वह बहुत ही गन्दा है। क्या कहेंगे?

जवाब- (मुस्कुराते हुए), जो आप शहर की गंदगी देख रहे हैं। उसे मैंने नहीं फैलाई है। सपा सरकार के एक मंत्री आजम खां हैं, यह सबकुछ उनकी देन है। गोरखपुर में 250 कर्मचारियों को सफाई के लिए भर्ती किया गया है। 250 कर्मचारी अलग से लगाये गए हैं, लेकिन काम सिर्फ 250 कर्मचारी ही करते हैं। शेष कर्मचारियों पर आजम खां की मेहरबानी है। शहर की आबादी अब 5-6 लाख से बढ़कर 15-20 लाख तक पहुंच गयी है। इस गन्दगी के बारे में मुझसे ठीक आजम खान बताएंगे।

सवाल- धर्म और राजनीति एक साथ कैसे संभव होता है?

जवाब- देखिये, धर्म और राजनीति एक-दूसरे के पूरक हैं। राजनीति, एक अल्पकालिक धर्म है। धर्म एक बहुकालिक राजनीति। राजनीति, मूल्यों पर आधारित हो, इसके लिए धर्म का राजनीति में समावेश आवश्यक है। हां, यह जरूर है कि यह धर्म जाति, पंथ, मत और उपासना से भिन्न है। मूल्य पर आश्रित राजनीति ही व्यक्ति को लोभ-लालच जैसे दुर्गुणों से दूर रख सकती है।

सवाल- आपके लिए पहले राम हैं या राष्ट्र? जवाब- दोनों का सामान महत्त्व है। राम ने ही राष्ट्र की सीमारेखा खींची। आज उसे सीमा रेखा को ही हम राष्ट्र की संज्ञा देते हैं। अखंड भारत की परिकल्पना कीजिए। इस क्षेत्र में आपको सांस्कृतिक समानता मिलेगी।

सवाल- कहते हैं कि आप हिंदुत्व के कट्टर समर्थक हैं। आपमें किस हद तक कट्टरता है? जवाब- हिंदुत्व, कट्टर या मुलायम नहीं होता है। हिंदुत्व को परिभाषित करने वाले भी अपने प्रकृति और संस्कारों के हिसाब से परिभाषित करते हैं। जिनके संस्कार हमसे मिलते हैं, वे हमारे नजदीक आते हैं। हम उनके सुख-दुख के सहयोगी हैं।

सवाल- लेकिन हिन्दू धर्म तो जातियों में बांटा है। बहुत भेदभाव है?

जवाब- जातियां, समाज के लिए खतरा नहीं है और न ही हिन्दू समाज के लिए। सामाजिक व्यवस्था में इनका बहुत योगदान है। खेत की सुरक्षा के लिए मेड़ बनाया जाता है। वह पफसल को नुकसान नहीं पहुंचाता। पफसलों के गुण के आधार पर खेती करने वाला किसान उन्हें आसानी से अलग कर लेता है। ऐसी ही जातियां हैं। हमारा मठ या विचार हमेशा छुआछूत का विरोधी रहा है। लगातार इस दिशा में प्रयास हो रहा है।

सवाल- आप पहले हिन्दू हैं या भारतीय? जवाब- मैं दोनों ही हूँ। हिन्दू का सम्बन्ध संस्कृति से है। जीवन पद्धति से है। भारतीयता, भौगोलिक परिस्थिति से जुड़ा है। इसलिए मैं अपनी संस्कृति के हिसाब से हिन्दू और भौगोलिक रूप से भारतीय हूँ। भरत-भू पर रहने वाला हर नागरिक एक साथ दोनों है। सवाल- लेकिन विपक्षी दलों के नेताओं का आरोप है कि आपके उग्र हिंदुत्व की वजह से पश्चिमी यूपी में दंगे हो रहे हैं?

जवाब- गलत आरोप है। पश्चिमी यूपी में दंगों की वजह खुद सपा सरकार रही है। कानून व्यवस्था चैपट है। पुलिस पिट रही है। समाजवादी गुंडों द्वारा यह सब किया जा रहा है। हम तो इसे बेहतर संवाद से ठीक करने का प्रयास करते हैं। गोरखपुर में हिन्दू-मुसलमान सभी मंदिर आते हैं। आप खुद देखिये। यहां भी घूम रहे हैं। इन्हें हमसे कोई भय होता यहां दिखते क्या?

सवाल- हिन्दू समाज में आपका प्रभाव बहुत है। भाजपा इसका भरपूर फायदा उठा रही है। लेकिन जब आपको सीएम बनाने की बात होती है तो बगले झांकने लगती है। आपमें योग्यता भी है, फिर ऐसा क्यों?

जवाब- नहीं, मैं इस दौड़ में नहीं हूं। जहां तक सीएम की बात है, वह संसदीय सामिति के निर्णय लेने का काम है। भाजपा के हर कार्यकर्ता में सीएम बनने की योग्यता है। उन्हें मौका मिलते ही, उसकी प्रतिभा दिखने लगती है। भाजपा में चेहरों की कमी नहीं है, यही वजह है कि पार्टी चेहरा लेकर परेशान नहीं रहती है। विरोधी अपनी कमी छिपाने को चिल्ल-पों करते हैं।