क्षेत्रीय राजनीति के भेंट चढ़ रहा गीता भवन

Geeta Bhawan Rishikesh

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गीता प्रेस गोरखपुर को आखिर कौन नहीं जानता लगभग 90 वर्षों से संचालित गीता प्रेस द्वारा (Geeta Bhawan Rishikesh) गीता भवन आयुर्वेदिक संस्थान पिछले 44 वर्षों से आयुर्वेदिक औषधियों का निर्माण करता चला आ रहा है लेकिन पिछले कुछ दिनों से यह क्षेत्रीय राजनीति व बाहरी लोगों के दखलअंदाजी के चलते विवादों में है।

गौरतलब है कि संस्था के कुछ कर्मचारी गीता भवन के मुख्य द्वार पर बाहरी राजनीति संरक्षण के चलते हड़ताल पर बैठे हुए हैं जिसका कारण गीता भवन आयुर्वेदिक संस्थान का स्थानांतरण ऋषिकेश से हरिद्वार सिडकुल इंडस्ट्रियल एरिया में होना बताया जा रहा है।

Geeta Bhawan Rishikesh
विजय राय|

गीता भवन के अधिकतर कर्मचारी संस्थान के ही कुछ दबंग व लॉबिंग करने वाले कर्मचारियों के विरूद्ध प्रबंधक को एक शिकायत पत्र भी दे चुके हैं उन्हें शिकायत की है कि हेमंत कुमार, सुरेंदर थापा, घनश्याम तिवारी व मुरलीधर शर्मा बाहरी लोगों के साथ मिलकर उनसे मारपीट की और डराया धमकाया और कहा कि कोई भी कर्मचारी हरिद्वार सिडकुल इंडस्ट्रियल एरिया में काम करने नहीं जाएगा।

जबकि गीता भवन के प्रबंधक विजय राय का कहना है कि वर्ष 2015 से ही हमे निर्देशित किया जा रहा था कि आयुर्वेदिक संस्था को औद्योगिक चिन्हित क्षेत्र में ले जायें। जिसकी वजह से हमने 2019 में हम कर्मचारियो को सारी सुविधा देने को तैयार है जो कर्मचारी वहां रहकर कार्य करना चाहते हैं उन्हे रहने के लिए घर का किराया दिया जायेगा और जो कर्मचारी वहां रहने में असमर्थ है उनके लिए रोज आना के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की जायेगी जिसका खर्चा कम्पनी उठायेगी, कर्मचारियो से इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जायेगा।

न्यायालय के निर्णय की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही

इस मामले में एक बात और सामने आई है कि वर्ष 2016 में न्यायालय द्वारा निर्णय सुनाया गया था कि गीता भवन के गेट के बाहर से कम से कम 500 मीटर की परिधि में कोई भी धरना प्रदर्शन, नारेबाजी, माइकबाजी तथा गीता भवन के कार्यालय उन कमरों में तालाबंदी नहीं करेगा जिसका इन लोगों द्वारा खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है।

पुलिस प्रशासन पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं कि पुलिस प्रशासन , गीता भवन प्रबंधक द्वारा मारपीट की शिकायत करने के बावजूद एवं न्यायालय के 500 मीटर के परिधि में धरना प्रदर्शन वह नारेबाजी पर रोक के बावजूद उन पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही।

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