हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों पर जताई गहरी नाराजगी

Former Chief Ministers uttarakhand
Former Chief Ministers uttarakhand

नैनीताल। Former Chief Ministers uttarakhand उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों के आजीवन आवास आवंटन को पूरी तरह से अवैध और असंवैधानिक ठहराते हुए पूर्व मुख्यमंत्रियों को छह माह के भीतर बाजार दर से बकाया किराया जमा करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने मुख्यमंत्रियों द्वारा यह सुविधा लिए जाने को बेहद आपत्तिजनक बताते हुए इस प्रथा पर गहरी नाराजगी जताई। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने देहरादून की गैर सरकारी संस्था रूरल लिटिगेशन एंड एंटाइटलमेंट केन्द्र (रुलक) की जनहित याचिका पर 26 फरवरी को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था जो आज सुनाया गया।

पूर्व में सुनवाई के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक व विजय बहुगुणा की ओर से बताया गया था कि उन्होंने सरकार की ओर से निर्धारित धनराशि जमा कर दी है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री रहे सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने किराया जमा करने में असमर्थता जतायी थी।

याचिका में कहा गया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को असंवैधानिक तरीके से आवास आवंटित किए गए थे। इससे पहले एक अन्य प्रकरण में उप्र सरकार की पूर्व मुख्यमंत्री आवास आवंटन नियमावली 1997 को उच्चतम न्यायालय की ओर से असंवैधानिक घोषित कर दिया गया था।

2.85 करोड़ रुपए की राशि लंबित

रुलक की याचिका में पूर्व मुख्यमंत्रियों भगत सिंह कोश्यारी, स्व. नारायण दत्त तिवारी, रमेश पोखरियाल निशंक, भुवन चंद्र खंडूड़ी व विजय बहुगुणा को सरकारी आवास आवंटित किये जाने का मामला उठाया गया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि इन पर कुल मिलाकर 2.85 करोड़ रुपए की राशि लंबित है।

इसमें भगत सिंह कोश्यारी पर 4757758 रुपये, स्व. एनडी तिवारी पर 11298182 , रमेश पोखरियाल निशंक पर 4095560, भुवनचंद्र खंडूड़ी पर 4659776 और विजय बहुगुणा पर 3750638 रुपये किराया बकाया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से पूर्व में ही आवास आवंटन अवैध घोषित किये जाने के बाद अब इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत की उम्मीद नहीं है।

माना जा रहा है कि उनके पास किराया जमा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि किराए के अलावा पूर्व मुख्यमंत्रियों को बिजली, पानी, पेट्रोल सहित अन्य सुविधाओं पर भी सरकार ने 13 करोड़ की राशि खर्च की है। याचिका में इसकी वसूली की मांग भी की गई।

6 माह के भीतर ये पूर्व मुख्यमंत्री इस राशि को चुकाएं

कोर्ट ने निर्देश दिए कि सरकार 4 माह के भीतर इन सुविधाओं पर खर्च राशि का पूरा ब्यौरा इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को उपलब्ध करवाए और उसके 6 माह के भीतर ये पूर्व मुख्यमंत्री इस राशि को भी चुकाएं। राशि न चुकाने पर सरकार इसकी वसूली करें।

पूर्व मुख्यमंत्री स्व. एनडी तिवारी का देहांत हो जाने के कारण कोर्ट ने बकाए की वसूली पर निर्देश न देते हुए कहा कि उनके वारिसों या संपत्ति से यह राशि वसूलने पर सरकार स्वयं ही निर्णय ले। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री खुद ही अपने लिए आजीवन बंगले की व्यवस्था कर ली जो कि बेहद गंभीर मसला है साथ ही कार्यपालिका द्वारा यह व्यवस्था के दिया जाना कार्यपालिका की कार्यप्रणाली को भी दर्शाता है।


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