क्या आपको पता है मकड़ियों के कान नहीं होते फिर भी वह सुन सकते हैं Ear of Spider

Ear of Spider
क्या आपको पता है मकड़ियों के कान नहीं होते फिर भी वह सुन सकते हैं Ear of Spider

कॉर्नेल विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने खोज की है कि हालांकि मकड़ियों के कान (Ear of Spider) नहीं होते लेकिन फिर भी वह दूर तक की आवाज सुन सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मकड़ियों में कानों के अलावा भी ऐसी कोई चीज़ नहीं होती जो उन्हें सुनने में कोई मदद कर सके लेकिन फिर भी वह कमरे में मौजूद लोगों की हल्की आवाज सुन सकती हैं और उन पर प्रतिक्रिया भी जाहिर कर सकती हैं।

हुआ यह कि कॉर्नेल विश्वविद्यालय में कीटविज्ञान (कीड़े मकोड़ों से संबंधित ज्ञान) के विशेषज्ञों ’छलांग लगाने वाली मकड़ी’ ’(जंपिंग स्पाईडर) का अध्ययन कर रहे थे। इस मकड़ियों का सबसे आम प्रकार है जो अब तक 5800 से अधिक प्रजातियों (species) की खोज हो चुकी हैं। अध्ययन का उद्देश्य मकड़ियों में तंत्रिका गतिविधि की प्रकृति और गंभीरता के बारे में पता लगाना था, जिसके लिए वैज्ञानिकों ने बड़ी परिमाण वाली ’’ छलांग मकड़ियों ’’ के सिर पर छोटी लेकिन बेहद संवेदनशील उपकरण स्थापित कर दिए थे।

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इसी दौरान एक विशेषज्ञ सिर्फ हल्की आवाज में इन मकड़ियों की नसों में कुछ हलचल का पता चला, जैसे मकड़ियों ने आवाज सुनकर प्रतिक्रिया दी है। इस बात की पुष्टि करने के लिए विशेषज्ञों ने इन मकड़ियों को अलग बक्से में बंद किया। इस डिब्बे को विशेष रूप से इस तरह तैयार किए गए थे कि जमीन या दीवारों में होने वाली थरथराहट उन्हें अंदर प्रवेश नहीं हो सकती थी। फिर वे विभिन्न आवृत्ति वाली आवाज उनके बक्से में प्रवेश किए तो वे यह जानकर आश्चर्यचकित रह गए कि मकड़ियों ने इन आवाजों को बखूबी सुन रही थीं।

मकड़ियों का संबंध कीड़े मकोड़ों से नहीं

इन आवाजों पर मकड़ियां प्रतिक्रिया परीक्षण के लिए उन्होंने विभिन्न कीड़े मकोड़ों से विशिष्ट आवाज उनके बक्से में प्रवेश किया। हानिरहित कीड़े की आवाजों पर इन मकड़ियों ने प्रतिक्रिया कुछ खास नहीं था। लेकिन जैसे ही बक्से में मकड़ियों का शिकार करने वाली भिड़ जैसी आवाज भेजी गई जिसकी आवृत्ति 80 हर्टज़ थी तो यह मकड़ियों तुरंत सावधान हो गईं जैसे खुद को हमलावर भिड़ से बचाना चाहती हो।

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विशेषज्ञों के अनुसार अभी यह जानना बाकी है कि मकड़ियों ने कानों या कानों (Ear of Spider) जैसी किसी भी अन्य चीज के बिना कैसे आवाज सुन लेती हैं। लेकिन उन्हें शक है कि शायद वह अपनी टांगों पर मौजूद पतली पतली बालों से खदानों का काम लेती हैं। मकड़ियों का संबंध कीड़े मकोड़ों से नहीं बल्कि पशु ’’ केली सईराटा ’’ (chelicerata) नामक समूह से है जो मकड़ियों के अलावा केकड़ा और बिच्छू आदि शामिल हैं। इसीलिए मकड़ी ’’ केकड़ा का चचेरे भाई ’भी कहा जाता है।

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