लखनऊ । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लंबे समय से चल रही महागठबंधन की खबरों के बीच अखिलेश यादव ने अपना पक्ष रखा है। उन्घ्होंने पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के साथ करीब एक घंटे तक मुलाकात की। इसके बाद वो अखिलेश यादव परिवहन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के पिता के निधन पर शोक जताने उनके घर पर भी गए। उत्तर प्रदेश में सत्ता पर काबिज रहने की जुगत में लगी समाजवादी पार्टी को गठबंधन या फिर महागठबंधन से जरा भी परहेज नहीं है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस मामले में अपना नजरिया स्पष्ट कर दिया।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के गठबंधन या फिर महागठबंधन पर कोई भी निर्णय पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव करेंगे। इस मामले में कोई भी निर्णय पार्टी फोरम पर चर्चा के बाद लिया जाए। महागठबंधन को लेकर मुख्यमंत्री ने उत्साह नहीं दिखाया। उन्होंने कहा कि मैं अभी इस प्रकरण में अनभिज्ञ हूं।उन्होंने कहा कि महागठबंधन को लेकर पार्टी पफोरम में चर्चा होनी चाहिए, मुख्यमंत्री अखिलेश ने कहा इस बारे में उनकी नेताजी से बात हुई है और जो भी उनके विचार हैं वह पार्टी फौरुम पर रखेंगे। इस मामले को लेकर पार्टी फोरम पर चर्चा हो। उन्होंने कहा कि गठबंधन पर अपनी बात पार्टी पफोरम पर कहूंगा। अगर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी तथा कांग्रेस गठबंधन चाहते हैं, तो कौन रोकेगा। उन्होंने कहा कि मेरा एक मत है कि पहले इस मामले में नेताजी आकलन कर लें कि किसको फायदा होगा और किसको नुकसान होगा। सभी पहलू पर नेताजी विचार कर लें। आज ही मुख्यमंत्री प्रदेश के परिवहन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के घर पर भी पहुंचे। उन्होंने प्रजापति के पिता के निधन पर अपनी संवेदना भी व्यक्त की। इससे पहले मुख्यमंत्री ने सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव के साथ लंबी बैठक की। करीब एक घंटे की बैठक मुलायम सिंह के सरकारी आवास पर हुई। सपा मुखिया के साथ मुख्यमंत्री ने बातचीत के दौरान आज ही पैक्सफेड के प्रबंध निदेशक को भी बुलाया था।
अखिलेश ने इससे पहले कहा था कि उन्हें अपने विकास कार्यों को लेकर भरोसा है कि जनता उन्हें दोबारा सत्ता में लेकर आएगी, लेकिन जिस तरह से रजत जयंती समारोह के दौरान पुराने जतना पार्टी के नेताओं ने बीजेपी को रोकने के लिए एक साथ आने की बात कही, उससे कहीं न कहीं अखिलेश का भी मनोबल डगमगा गया है। समाजवादी पार्टी के सीनियर नेताओं को लगता है कि अगर बीजेपी को रोकना है तो गठबंधन करना जरुरी है, लेकिन अखिलेश की दुविधा यह भी है कि अगर गठबंधन होता है तो सीट सपा को ही छोडनी पड़ेगी। अखिलेश ने यह भी कहा कि अगर सपा और कांग्रेस गठबंधन करना चाहती है तो कौन रोक लेगा, लेकिन नपफा और नुकसान अक आंकलन जरुरी है।