सर्किल रेट बढ़ने से होगी भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, आयकर व स्टाम्प ड्यूटी चोरी में वृद्धि

Corruption will increase due to increase in circle rate

Corruption will increase due to increase in circle rate

खरीदार पर बढ़ेगा स्टाम्प ड्यूटी, विक्रेता पर आयकर का भार
मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर की सर्किल रेट पूर्ववत रखे जाने की मांग

देहरादून। Corruption will increase due to increase in circle rate सर्किल रेट बढ़ाये जाने से केवल सम्पत्ति खरीदना आदि ही महंगा नहीं होगा बल्कि इससे भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी व स्टाम्प ड्यूटी तथा आयकर चोरी में भी वृद्धि होगी। इससे जहां खरीदार पर स्टाम्प ड्यूटी का भार बढे़गा, वहीं विक्रेता पर आयकर का भार बढ़ेगा।

काशीपुर निवासी 44 कानूनी पुस्तकों के लेखक तथा टैक्स सी.एच.आर.बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नदीम उद्दीन एडवोकेट ने सर्किल रेट बढ़ाये जाने से जनता तथा सरकार को होने वाले 8 नुकसानों की जानकारी देते हुये सर्किल रेट पूर्ववत करने की मांग करते हुये ज्ञापन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को भेजा है।

श्री नदीम द्वारा भेजे ज्ञापन में 8 नुकसानों का वर्णन करते हुये लिखा गया है कि सर्किल बढ़ाये जाने से आम जनता के साथ-साथ सरकार के राजस्व पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा तथा इससे किसी को भी कोई वैध लाभ नहीं होगा।

श्री नदीम के ज्ञापन के अनुसार आयकर अधिनियम की धारा 50सी के अनुसार अचल सम्पत्ति के हस्तांतरण पर कैपिटल गैन के निर्धारण सर्किल रेट के आधार पर किया जाता है।

इसके अनुसार राजिस्ट्री की सम्पत्ति का वास्तविक मूल्य से यदि सर्किल रेट 10 प्रतिशत से अधिक होता तो सर्किल रेट को ही मूल्य मानकर आयकर का भुगतान करना होता है जो 3 वर्ष से अधिक पहले प्राप्त सम्पत्तियों के हस्तांतरण के मामले में 20 प्रतिशत की दर से देना होता है, अन्य मामलों में आयकर स्लैब के अनुसार देना होता है। इसलिये सर्किल रेट बढ़ते ही आयकर में स्वतः ही वृद्धि हो जाती है।

धोखाधड़ी व शोषण की संभावनायें बढ़ेंगी : Nadeem Uddin

उल्लेखनीय है कि नगर निकाय क्षेत्र की तथा उसकी सीमा से 8 किमी. परिधि की कृषि भूमि पर कैपिटल गेन के रूप में आयकर का भुगतान करना होता है। इस प्रकार सर्किल रेट बढ़ने से जहां खरीदार पर स्टाम्प ड्यूटी की मार बढ़ी है, वही विक्रेता पर इंकमटैक्स की।

श्री नदीम द्वारा ज्ञापन में उल्लेखित अन्य नुकसानों में बिना रजिस्ट्री, कच्चे कागजों को बनाकर सम्पत्ति खरीद-बिक्री के मामले बढ़ना जिससे सरकार के राजस्व का नुकसान होगा, वहीं खरीदार से धोखाधड़ी व शोषण की संभावनायें बढ़ेंगी।

सम्पत्ति अधिग्रहण के मामलों में वास्तविक मूल्यों से अधिक मुआवजे एन.एच. घोटाले जैसे घोटालों की संभावनायें बढ़ना, गरीबों का अपना घर का सपना टूटना, कच्चे कागजों पर सम्पत्ति व्यापार में बढ़ोत्तरी से कालाधन बेनामी सम्पत्ति तथा भ्रष्टाचार में भारी वृद्धि की संभावना तथा स्टाम्प ड्यूटी तथा आयकर चोरी को बढ़ावा मिलने की संभावनाऐं शामिल है।

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