चौपाल

प्रकाश चन्द्र उनियाल

वर्तमान समय में धीरे-धीरे लोगों के वैचारिक अस्तरो में काफी परिवर्तन होने लगा है। किन्तु आज भी गावं मे चैपाल मे लोगो का आवागमन बना रहता है। कभी कभी धार्मिक चर्चायें कभी राजनैतिक चर्चाओ के साथ सरगर्मीया कभी कभी खेलों पर कभी विश्व लेवल पर भी चर्चाएं होने लगती है। कही कुस्ती कभी पहलवानी कभी रेस विभिन खेलो में चर्चायें होने लगती हैं। बहस में जवानों से लेकर वृद्ध़ भी कम नही होते कभी देश-विदेश में नौकरीयां की जानकारीया मिलने लगते है, कभी मध्यपान कभी धु्रमपान के विरोध पर चर्चा होती। क्या फैशन डिजायनिंग, क्या इंजनियरींग, क्या होटल मैनेजमैट, कभी आर्मी, नेवी, सेना, पुलिस, ड्राईविग सभी के रोजगार विषयों पर चर्चा होती देश-विदेश में नौकरियों की जानकारियां भी मिलती है। गांव के अनेक युवा-युवतियां देश के मध्य पूर्ण पदो पर पहुचे हुये हैं। रामू चैपाल में बैठकर सबकी बाते सुनता और मन ही मन पछताता रहा। मैं गरीब मजबूर इन्सान हूॅं मै क्या जीवन मे अपने बच्चो को पढा पाउगा और क्या बड़ी नौकरीया करा पाऊगा, मन ही मन निराश था हतास था, अपने को हमेशा विवश समझता था।
लेखकः- उसकी स्थिति मैने देखा उसकी समस्या विवसता में स्थिति का जायजा लिया और अपने पास विठाया और समझाया रामू भया यह दुनिया सिर्फ पैसे  से ही नही चलती। इसके लिए सोच और संस्कारो की भी जरूरत होती है। मुझे एक बात बताना आ दिन भर में कितनी वीडी़़ सीगरेट पी लेते हो क्योकि देखा गया रामू लगतार बीड़िया पीता ही रहता था।
रामूः- भाई सहाब क्या कहना समय काठने के लिए मेरे पास सिर्फ एक मात्र सहारा वीड़ी ही है।
लेखकः- रामू जानते हो वीड़ी बहुत बुरी वस्तु है। यह आदमी के उपर दीमक है दीमक। रामू एक बात बता तुम्हारे पास बच्चे कितने है?
रामूः- सिर्फ दो वे भी अभी छोटे-छोटे हैं भैया जी।
लेखकः- रामू भया वीड़ी कितने रूवये की पी लेते हो फिर बताओ।
रामूः- सिर्फ 40 रूपये की।
लेखकः- रामू 40 रूपये बहुत होते है। तुम चाहो दुनिया के बहुत अच्छे इन्सान बन सकते हो लेकिन तुम्हे थोड़ी सी कुरर्बानी देने होगे कुछ अपनी आदतो मे परिवर्तन करना होगा तुम अच्छे इन्सान बन जाओगे।
रामूः- ऐसा कहां इस किस्मत में।
लेखकः- सिर्फ किस्मत के भरोसे  बैठ दुनिया नही चलती कुछ कार्य भी करने पड़ते है, क्या मेरे बताएं तुम रास्ते पर चलोगे आज कसम खाओ महात्मा गाधी और लाल बहादुर शत्री जी की कि मै धू्रम्रपान नही करूंगा।
रामूः- जी हां भैया जी
लेखकः- रामू आपको वीड़ी सिगरेट छोड़नी होगी और बहुत अच्छे बन सकते हो तुम प्रात मेरे पास आना।
रामूः- अवश्य भैया जी,
दूसरे दिन रामू और लेखक बैंक पहुचे रामू के बच्चों के नाम से बैंक में बचत खाता खुलवाया। बच्चों को सरकारी विद्यालय में भर्ती करवाया, वर्तमान में रामू भैया को सरकारी विद्यालयों में सरकार द्धारा सारी सुविधाएं निशुल्क दी जाती हैं। बच्चो को पुस्तके, कपड़े, भोजन सारी व्यवस्थायें दी जाती है। अच्छे शिक्षक भी विद्यालयों में रखे गये हैं। बच्चो को निसंकोच सरकारी पाठशाला मंै पढ़ाओ यदि बात मानोगंे, विश्वास ही फल दायक होता है।
रामू ने हमारी बात मान ली जितने की वीड़ी सीगरेट पिता था, अर्थात 1200 रूपये मात्र 400 प्रतिदिन दोनो बच्चै के नाम जमा होने शुरू हो गये।
बच्चे विद्यालय में पढ़ने लगे समय बीतता चला गया रामू नित्य मेहनत और परिश्रम करता उसके सामने किसी प्रकार की कठनाई नही आई। एक दिन एसा आया रामू के दोनो बच्चों ने इन्टर कर लिया। बेटे ने बी-टेक करने की सोची तथा बीटीया ने स्नातक पास कर बी-एड करने की सोची बैंक द्धारा दोनों बच्चों को शिक्षा लोन दिया गया। रामु के बच्चे प्रतिभाशाली एवं होनहार थे। बी-टेक अंतिम वर्ष में रामू के बेटे को अच्छी कम्पनी में प्लेसमेन्ट मिल गया। यह देख रामू खुशीयों के मारे झूम उठा। बिटिया ने बी-एड करने के पश्चात एक सरकारी विद्यालय में शिक्षक बन गई। समय बदलता चला गया आज रामू की गिनती गावं के अच्छे लोगो मंे होने लगी आज रामु चैपाल में फूले नहीं समाता। रामू अब समझ गया कि अच्छे दिन जीवन के लिए सिर्फ धन ही नही बल्की सही सोच, सही दिशा की जरूरत भी होती है।
छोटी सी कुर्बानी जीवन भर आसानी