खुलासा हैजा हमारे आंतों का रक्षक

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बोस्टन। हैजा एक ऐसी बीमारी है जो हर साल दुनिया भर में दो अरब से अधिक लोगों को प्रभावित करती और लाखों व्यक्तियों के मौत का कारण बनती है लेकिन अब विशेषज्ञों ने खुलासा किया है कि हैजा एक मानवीय बीमारी है जो दरअसल हमारी आंतों को रोगाणुओं के गंभीर हमलों से बचाने के लिए काम करती है।
मतलब यह है कि अगर हैजा हमलावर न हो तो खतरनाक बैक्टीरिया अंदर ही अंदर मानव के आंतों को कमजोर बनाते हुए अंततः उन्हें फाड़ डालेंगे और इसका निश्चित परिणाम मौत स्वरूप में दिखाई देगा।
चिकित्सा विशेषज्ञों में सदियों से यह चर्चा जारी है कि हैजा केवल घातक नहीं बल्कि इसका कुछ न कुछ सकारात्मक और उपयोगी पहलू भी है जिसका उद्देश्य शायद मानव शरीर के किसी बड़ी आपदा और बड़े नुकसान से बचाने के लिए है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा था कि आखिर हैजा से जुड़े सुरक्षा प्रणाली कैसे प्रक्रिया में आता है और कैसे काम करता है। अतीत में इस संबंध में की गई कई जांच भी उपयोगी साबित नहीं हो सकी थी।
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इन सभी बातों के मद्देनजर बरघम और महिला अस्पताल, बोस्टन चिकित्सा विशेषज्ञों ने चूहों पर विस्तृत अनुभव करने का फैसला किया ताकि अगले चरण में मानव अनुभव का मार्ग प्रशस्त हो सके। इन प्रयोगों के दौरान चूहों के एक समूह को उनके रोगाणुओं से प्रभावित किया गया जिससे चूहों में हैजा के कारण बनते हैं। फलस्वरूप पहले ‘इंटरल्यूकन 22’ नामक एक प्रोटीन की अधिक मात्रा बनने लगी जो चूहों की आंतों में आंतरिक झिल्ली द्वारा प्रस्तुत होने लगी और उनके कोशिकाओं को एक और प्रोटीन ‘कलाडीन 2’ अतिरिक्त मात्रा तैयार करने मजबूर करने लगी।
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कलाडीन 2 प्रोटीन, आंत की झिल्ली में मौजूद कोशिकाओं के साथ काम करता है और सामान्य की तुलना में उनसे कम समय में अधिक पानी हटाने का कारण बनता है। यानी दरअसल यही वह प्रोटीन भी है जो हैजा उल्टी और दस्त की बड़ी वजह बनता है। अलबत्ता इसी के साथ उन्होंने एक और महत्वपूर्ण बात यह भी खोज की। उन्हें मालूम हुआ कि हैजा की स्थिति में उल्टी और दस्त के रूप में शरीर से पानी की बड़ी मात्रा के साथ हैजा के कारण बनने और आंतों को नुकसान पहुंचाने वाले रोगाणुओं को भी बड़ी मात्रा शरीर से बाहर निकल जाती है।
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अगर यह बैक्टीरिया अधिक समय तक शरीर में मौजूद रह जाएं तो आंतों को अपूरणीय क्षति पहुंचा सकते हैं जिससे हैजा रोग समाप्ति में महीने भर से भी अधिक का समय लग सकता है, और अगर इन रोगाणुओं की गतिविधि नियंत्रण से बाहर हो जाएं तो यह आंतरिक झिल्ली नष्ट करके उन्हें फाड़ सकते हैं और प्रभावित व्यक्ति को मौत के घाट भी उतार सकते हैं।
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विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हैजा में इंटरल्यूकन 22 कलाडीन 2 प्रोटीन प्रणाली मौजूद न होता तो शायद हैजा से होने वाली मौतों की संख्या भी आज की तुलना में कई गुना अधिक होती। अब वह अगले चरण में यही अनुसंधान मनुष्य के लिए करने की तैयारी में व्यस्त हैं और उन्हें उम्मीद है कि अमेरिकी इदारा बराए आहार और दवा (एफडीए) जल्द ही इसकी अनुमति भी दे दे देंगे। बरघम और महिला अस्पताल, बोस्टन में किए गए इस शोध अध्ययन के परिणाम रिसर्च जर्नल सेल होस्ट एंड माईकरोब में प्रकाशित हुए हैं।