लंदन। वैज्ञानिकों ने कैंसर को रसोलियों तक पहुंचकर उन्हें सीधे नष्ट करने वाले पतला कैप्सूल तैयार किया हैं जो कैंसर को खत्म करने वाली दवा उसके मुकाम तक पहुंचा सकेंगे। यह कैप्सूल कई परतों में लपेटा जाता है जिसे अल्ट्रासाउंड के माध्यम से आगे बढ़ाया जाता है और अल्ट्रासाउंड ही इन माइक्रो कैप्सूल्स को मार्गदर्शन करके उन्हें प्रभावित अपोस्टोलिक या कोशिकाओं तक पहुंचाती है। भविष्य में यह कीमोथेरेपी जैसे दर्दनाक प्रक्रिया की जगह इस्तेमाल किया जा सकेगा।
कैंसर के खिलाफ दवा भरे इस कैप्सूल को विश्वविद्यालय अलबामा बर्मिंघम (यूएई बी) ने तैयार किया है जिसमें तीन ऐसी खासयत हैं जो एक जगह लाना संभव नहीं।
1. यह हल्के अल्ट्रासाउंड से आगे बढ़ते हैं।
2. उनमें डोकसूरयू बी सुन जैसी प्रसिद्ध दवा रखी जा सकती है।
3. यह अल्ट्रासाउंड से ही इच्छित स्थान तक ले जाकर इससे दवा नष्ट किया जा सकता है। डोकसूरयू बी सुन कीमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली जेनेरिक दवा है जो विभिन्न उच्च किस्म के कैंसर को खत्म करने में मदद करती है। कैप्सूल पर काम करने वाली डॉक्टर यूजेनिया करलामपीवा के अनुसार उन्होंने ठोस रसोलियों समाप्त करने के लिए एक अलग रास्ता तैयार कर लिया है। इसमें दवा अपने गंतव्य तक पहुंचते हुए प्रभावित नहीं होता और अल्ट्रासाउंड से दवा मानते देखा जा सकता है।
बाहरी रूप से अल्ट्रासाउंड के माध्यम से ही दवा नष्ट किया जा सकता है। कैप्सूल के अंदर दवा रख कर उसे टैंक एसिड और पोली एन वेनाइल पायरोल आईडीन कई परतों में बंद किया गया है। इन सभी परतों को घुलने और दवा हटाने के लिए अल्ट्रासाउंड जो मात्रा की आवश्यकता होती है वे एफडीए प्रचलित तीव्रता के भीतर है। यह कैप्सूल मानव रक्त कोशिका (सेल) भी छोटे हैं और उनमें से प्रत्येक 8 विभिन्न परतें चढ़ाई गई हैं।
इसके अंदर मौजूद सही दवा भरा कैप्सूल केवल 50 नैनोमीटर चैड़ा है जो कैंसर को खत्म करने वाली दवा भरी है। अब अगले चरण में वैज्ञानिक इन कैप्सूलो को रक्त प्रवाह और दवा डालने का व्यावहारिक प्रदर्शन करेंगे जिसके बाद इसकी उपयोगिता सामने आ सकेगा। इस शोध का सार यह है कि इससे दवा ठीक कैंसर वाली जगह पहुंचाया जा सके जो अभी भी दुनिया भर के विशेषज्ञों के लिए एक चुनौती बना हुआ है।