जम्मू। पूर्व मुख्यमंत्री व मुख्य विपक्षी पार्टी नेशनल कोंफ्रेंस के प्रधान उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि आतंकवादी कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर में हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती व उनकी सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई हक नही है।
कश्मीर के हालात पर मंगलवार को विधानसभा में बहस का आगाज करते हुए विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला ने बुरहान वानी की मौत को लेकर राज्य सरकार को घेरते हुए कहा कि मुख्यमंत्री इस मौत का सच उजागर करें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कहती हैं कि अगर उन्हें पता होता तो बुरहान को बचा लेते जबकि उपमुख्यमंत्री कहते हैं कि बुरहान गलती से मारा गया। उमर ने वर्ष 2010 का बदला लेते हुए सदन में उस पीडीपी को घेरा जिसने विपक्ष में बैठकर नेकां-कांग्रेस को 125 मौतों के लिए छह साल पहले जमकर निशाना बनाया था। उमर ने कहा कि यह दावे हो रहें है कि बुरहान को आपको कमजोर करने के लिए मारा गया जबकि कुछ यह दावा करते हैं कि उसे मुख्यमंत्री के लिए असहज हालात पैदा करने के लिए मारा गया। यह भी कहा जाता है कि बुरहान वानी को हिरासत में मारा गया। इन हालात में मौत की असलियत उजागर होना जरूरी है।
मुख्यमंत्री पर कश्मीर में हुई मौतों को गंभीरता से न लेने का आरोप लगाते हुए उमर ने कहा कि ठीक है कि आप इस मामले में न्यायिक जांच नही करवाना चाहते हैं लेकिन इस दौरान बैंक गार्ड रियाज को गोली मारकर व ख्रियू में लेक्चरार को पीट पीट कर मारने के मामले की जांच तो की जाए। सुरक्षाबलों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि जांच से साबित हो जाएगा कि वहां उस समय किसकी तैनाती थी।
महबूबा सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा कि सबूत कहते हैं कि हकूमत ने खुद हालात बिगाड़े और उच्चतम न्यायालय तकझूठे बयान दिए कि कश्मीर के हालात सुधर गए हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर के हालात के लिए नेहरू, शेख, फारूक व उमर को जिम्मेवार ठहराने वाले आप मौजूदा हालात के लिए सबसे अधिक जिम्मेवार हैं।
वहीं वर्ष 2010 में अपनी सरकार के दौरान कश्मीर में हुई 125 मौतों का मुद्दा उठाते हुए उमर ने कहा कि हमने इसके लिए किसी को जिम्मेवार नही ठहराया। तक सिर्फ 8-10 दिन कफ्र्यू था व इस बार आपने 50 से अधिक कफ्र्यू रखा और महीनों इंटरनेट बंद रखा। सौ के करीब लोग मर गए, हजारों घायल हुए व पांच सौ से अधिक लोगों पर पीएसए लगा।
उमर ने कहा कि कश्मीर के लोग उस महबूबा मुफ्ती को तलाशते हैं जो वर्ष 1996 के बाद से आतंकवादियों के घरों में जाकर रोती थी। वह कहती थी कि उन्हें मारे गए युवाओं के मुंह में टाफियां दिखती थी। उन्हें तुपफेल मट्टू से लेकर मारे गए हर युवक का नाम याद था। यही महबूबा कुर्सी पर बैठने के बाद मारे गए युवाओं के बारे में कहती हैं कि क्या वह वहां पर दूध लेने गया था।
सितंबर महीने में महबूबा मुफ्ती के जम्मू दौरे का हवाला देते हुए उमर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उस दिन शोपियां में युवक की मौत पर कहा था कि उनका हलका सा दुख हुआ। महबूबा ने गोलगप्पों की बातें व मजाक किया। अगर वह कश्मीर में मौतों से दुख होती तो उनसे बोला न जाता।उमर ने अपने करीब एक घंटे के भाषण में कहा कि अगर महबूबा सरकार कश्मीर में मौतों व वहां के हालात के लिए जिम्मेवारी कबूल करती हैं तो इससे मरने वालों के साथ इंसाफ होगा।