भाजपा ने एक बार फिर प्रदेश को राजनीतिक अस्थिरता की ओर धकेल दिया : गरिमा

BJP pushed towards political instability

BJP pushed towards political instability

देहरादून। BJP pushed towards political instability उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने भाजपा को उत्तराखंड राज्य को एक बार पुनः राजनीतिक अस्थिरता और संवैधानिक संकट की ओर धकेलने का आरोप लगाया है ।

कांग्रेस प्रवक्ता ने भाजपा पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा की हो ना हो यह भाजपा की सोची समझी साजिश, षड्यंत्र और रणनीति लगती है। भाजपा ने जानबूझकर नेतृत्व परिवर्तन किया और समझते बुझते हुए अपने 57 विधायकों में से मुख्यमंत्री ना चुनकर एक सांसद को मुख्यमंत्री का ताज पहनाया।

दसौनी (Garima dasauni) के अनुसार उसके बाद की क्रोनोलॉजी और भी ज्यादा चौंकाने वाली है। गरिमा का कहना है कि यदि भाजपा तीरथ रावत को विधानसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित करवाने में गंभीर होती तो उन्हें सल्ट से उपचुनाव लड़वाया जाता परंतु भाजपा की मंशा पहले दिन से ही साफ नहीं थी।

भाजपा राज्य को पहले भी कई मुख्यमंत्रियों के बोझ तले दबा चुकी है और अब एक बार पुनः दो ही विकल्प बचते हैं या तो 9 सितंबर से पहले भाजपा अपने चुने हुए 57 विधायकों में से किसी एक को मुख्यमंत्री चुने या प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगे।

दसौनी के अनुसार संविधान के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के 151 (क )के अनुसार जिस भी राज्य में आम चुनाव 1 साल से कम की अवधि में होने तय हों ऐसी स्थिति में वहाँ उपचुनाव नहीं कराया जा सकता।

मुख्यमंत्री का गंगोत्री से भी चुनाव लड़ना मुमकिन नहीं दिखता : Garima dasauni

गरिमा ने कहा की गंगोत्री सीट से विधायक स्व० गोपाल रावत का निधन 22 अप्रैल को हुआ इसलिए उनका कार्यकाल भी प्रदेश के अन्य विधायकों की तरह 22 मार्च तक यानी कि मात्र 11 महीने का ही बाकी बचा था, ऐसे में मुख्यमंत्री का गंगोत्री से भी चुनाव लड़ना मुमकिन नहीं दिखता।

दसौनी ने कहा कि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण विषय है कि एक तरफ पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश है जहां 50 सालों में मुश्किल से 6 या 7 मुख्यमंत्री हुए हैं लेकिन यह उत्तराखंड राज्य की विडंबना ही कही जा सकती है कि मात्र 20 सालों में उत्तराखंड राज्य 10 मुख्यमंत्रियों के बोझ तले दबा हुआ है।

गरिमा (Garima dasauni) ने कटाक्ष करते हुए कहा कि उत्तराखंड राज्य की जनता के साथ भाजपा आखिर कौन सा बदला ले रही है ,क्योंकि राज्य की जनता ने प्रचंड बहुमत देकर प्रदेश में एक स्थिर सरकार की अपेक्षा की थी। लेकिन राज्य की जनता को एक बार पुनः निराशा ही हाथ लगी।

दसौनी ने भाजपा पर संगीन आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सत्ता में रहते हुए उत्तराखंड राज्य पर 7 मुख्यमंत्रियों का बोझ डाल चुकी है और यह सिलसिला अभी थमा नहीं है। दसौनी ने इस स्थिति को राज्य के लिए बहुत ही दुखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण बताया एवं कड़े शब्दों में उत्तराखंड भाजपा के इस कृत्य के लिए निंदा की।

गरिमा ने कहा कि यदि नेतृत्व परिवर्तन इतना अपरिहार्य था तो अपने 57 चुने हुए निर्वाचित विधायकों में से ही भाजपा आलाकमान को मुख्यमंत्री चुनना चाहिए था ताकि कम से कम राज्य अस्थिरता की ओर तो ना झोंका जाता।

जरा इसे भी पढ़े

कोविड टेस्टिंग फर्जीवाड़ा करने वाले दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा : सीएम
महाविद्यालयों में रिक्त 701 पदों पर शीघ्र होगी भर्ती : डा. धन सिंह रावत
यूकेडी और गांववासियों की हुई जीत, खुलेगा डिफेंस कॉलोनी का रास्ता