स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती ने जन्मदिन पर लिया राष्ट्रसेवा का संकल्प

स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज केे 43वां जन्मदिन पर बधाई देते हुए।

हरिद्वार । अन्तर्राष्ट्रीय बाल संत श्री रामेश्वर सदानंद आश्रम सत्य सनातन ट्रस्ट के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज ने अपना 43वां जन्मदिन देश और धर्म के प्रति समर्पण की भावना के संकल्प दिवस के रुप में मनाते हुए अपने सैकड़ों अनुयायियों के साथ गाय एवं गंगा की पूजा की तथा राष्ट्र रक्षा का संकल्प लिया।

सन्यास मार्ग स्थित श्री रामेश्वर सदानन्द आश्रम में मानव जीवन की सार्थकता पर प्रकाश डालते हुए महामण्डलेश्वर स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि जन्मदिन व्यक्ति को जीवन जीने के उद्देश्य की याद दिलाता है ताकि व्यक्ति प्रतिवर्ष अपने जीवन की गति स्वयं तय कर सके। राष्ट्र और धर्म की रक्षा को मानव जीवन का मूल उद्देश्य बताते हुए उन्होने कहा कि माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है तथा संत एवं गुरु की संगति व्यक्ति को दुर्व्यसनों से बचाती है। राग द्वेष से दूर रहते हुए जो व्यक्ति धर्म के बताए मार्ग पर चलता है उसी का जीवन सार्थक बनता है। परमपिता परमात्मा को सभी जीवात्माओं में विद्यमान बताते हुए उन्होने कहा कि जिस हृदय में परमात्मा विराजमान हो व्यक्ति को उस हृदय की पवित्रता बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए।

गाय एवं गंगा को सनातन धर्म और संस्कृति का आधार बताते हुए महामण्डलेश्वर स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि जब धरती पर धर्म की हानि होती है तब भगवान स्वयं अवतरित होकर धर्म की स्थापना करते हैं और संत समाज धर्म के संवाहक हैं जो आदि शक्ति परमात्मा के उस संदेश को जन-जन तक पहुंचाते हैं यही कारण है कि श्रीहरि ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम एवं महान कर्मयोगी भगवान श्रीकृष्ण के रुप में भारत की पावन भूमि पर अवतरित होकर सृष्टि का कल्याण किया। संत महापुरुषां का जीवन परमार्थ के लिए समर्पित बताते हुए उन्होने कहा कि सन्यास ग्रहण करने के बाद संत का स्वयं के लिए कुछ नहीं रह जाता है ऐसी स्थिति में प्रत्येक संत को अपने जीवन के उद्देश्यों को प्रतिवर्ष तय करना पड़ता है अपने जीवन के चार दशकों के समय को धर्म और राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित बताते हुए कहा कि मात्र 5 वर्ष की आयु में ही उन्होंने गृह त्याग कर धर्मसेवा में प्रवेश किया था,

और गुरु चरणों शिक्षा दीक्षा पूर्ण करने के साथ ही वे भारत के पहले संत हैं जिन्होने भारत के साथ ही विश्व के दो दर्जन से अधिक देशों में सनातन धर्म एवं संस्कृति का प्रचार कर भारत को विश्व में गौरवान्वित किया। सभी भक्तों से राष्ट्र सेवा में सीधे जुड़ने का आवाहन करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जन्मदिन के अवसर पर एक वर्ष की राष्ट्र एवं समाज सेवाओं का उद्देश्य तय करना चाहिए। म.मं. स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती को 43वें जन्मदिन की शुभकामनाएं देने वालों में प्रमुख थे भाजपा नेता विकास तिवारी, पूर्व राज्यमंत्री सारिका प्रधान, विक्रम शाही, अनिल कक्कड़ तथा देवेन्द्र शाही के साथ ही श्री रामेश्वर आश्रम में प्रथम कक्ष की आधारशिला से शुभारम्भ करने वाले दिल्ली के शर्मा परिवार ने सभी आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया।