भूस्खलन होने से दो मकान मलबे में दबे Bhuskhalan
देवाल। चमोली जिले के देवाल विकासखंड के अंतिम गांव झलियां में बेमौसम भूस्खलन (Bhuskhalan) से ग्रामीण दहशत में हैं। यहां गांव के ऊपर की पहाड़ी से लगातार भूस्खलन होने से दो मकान मलबे में दब गए हैं। बाकी 10 घरों में मलबा गया है। ग्रामीणों ने गांव छोड़ दिया है। गांव के करीब 50 लोग पास के एक मंदिर में शरण लिए हुए हैं।
वहीं खेत खलिहान सब मलबे से पट गए हैं। चटक धूप के कारण मलबे की मिट्टी का गुबार उड़ रहा है। इससे आसपास कुछ नहीं दिखाई दे रहा है। गांव में मोबाइल नेटवर्क भी नहीं काम करता है। ग्रामीणों ने किसी तरह रविवार को सूचना प्रशासन तक पहुंचाई, लेकिन अभी तक टीम के गांव नहीं पहुंचने की सूचना है। यह गांव कुमाऊं के बागेश्वर जिले से लगा है।
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ग्राम प्रधान झलियां भाग चंद्र सिंह दानू ने बताया है कि शनिवार रात गांव के ऊपर भागाबूगा के पहाड़ से अचानक चट्टान भरभरा कर टूटने लगी। गांव में पत्थर एवं मलबा गिरने से गांव में अफरा तफरी मच गई। गांव में मलबा भर जाने से दो मकान मलबे मे दब गए। दस मकानों में मलबा घूस गया है। रात्रि में ग्रामीणों ने अपने पालतू पशुओं को किसी तरह सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए। कई पालतु जानवरों को चोट लगी है।
गांववालो ने गांव छोड़ दूसरी जगह शरण ली
उन्होंने कहा कि गांव वालों को खेत में मलबे से पट गए है फसल पूर्ण नष्ठ हो गई है। लगातार चट्टान से मलबा गिरने (Bhuskhalan) से गांववालो ने गांव छोड़ दूसरी जगह शरण ली है। वहीं चट्टान के मलबे से झलिया के साथ कुंवारी गांव में भी भारी नुकशान पहुंचा है।
जिला पंचायत सदस्य राजेंद्र दानू ने कहा कि वर्ष 2013 की आपदा में झलिया गांव के ऊपर की चट्टान में बड़ी बड़ी दरारें पड़ी हुई थीं। ग्रामीण लगातार गांव की विस्थापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। झलियां गांव को प्रशासन ने विस्थापन की लिस्ट में चयनित तो किया है, लेकिन अभी तक गांव का विस्थापन नहीं किया। उन्होंने शीघ्र गांव को विस्थापन एवं राहत कार्य करवाने की मांग प्रशासन से की है।
उधर, तहसीलदार थराली माणीक लाल भेतवाल ने बताया कि गांव में दो मकान मलबे में दबने एवं अन्य मकानों में मलबा घूसने की जानकारी मिली है। साथ ही मलबे से गांव की खेती नष्ट हो गई है। लगातार चट्टान टृट रहा है। नायब तहसीलदार थराली को मौके पर जाने के आदेश दे दिए है।