प्रदेश सरकार को लगी करोड़ों की चपत

Allocation liquor shops
Allocation liquor shops

289 शराब की दुकानों का आवंटन अधर में

देहरादून। Allocation liquor shops राज्य गठन के 18 सालों में यह पहली हुआ जब नए वित्तीय वर्ष के 22 दिन से ज्यादा का समय बीत जाने के बावजूद प्रदेशभर में देशी व अंग्रेजी 289 मदिरालयों का आवंटन नहीं हो पाया है। उन दुकानों पर ताला जड़ा हुआ है। भारी संख्या में शराब की इन दुकानों का आवंटन न होने के चलते सरकार को अब तक 920 करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है। जो प्रतिदिन के हिसाब से करोड़ों में बढ़ता ही जा रहा है।

प्रदेशभर में 289 देशी-विदेशी शराब की दुकानों का आवंटन अधर में लटका हुआ है। इन सबके बावजूद आबकारी विभाग के ऊपर से लेकर नीचे तक के संबंधित अधिकारी समस्या का हल निकालने के बजाए तमाशबीन बन सरकार को होने वाले घाटे को बढ़ाते जा रहे हैं।

एक नजर 13 जिलों में आवंटित न होने वाली दुकानों पर देहरादून -36, अल्मोड़ा- 34, बागेश्वर- 7, नैनीताल -18, उधमसिंहनगर- 63, हरिद्वार- 75, चमोली -4, पौड़ी गढ़वाल -17, टिहरी गढ़वाल-7, रुद्रप्रयाग 1, उत्तरकाशी- 6, पिथौरागढ़ -20, चंपावत-4 देहरादून में प्रतिमाह 34 करोड़ का घाटा होना बताया जा रहा है।

36 दुकानों को खरीदार नहीं मिल रहा

वहीं राजधानी देहरादून में विगत वर्षों की बात करें तो यहां शराब की दुकानों को खरीदने की ऐसे होड़ लगी रहती थी कि लोग अपनी पूंजी सहित हर तरह से दांव पेंच लगाकर इस धंधे में हाथ आजमाते थे, लेकिन इस बार अब तक 36 दुकानों को खरीदार नहीं मिल रहा है।

विभागीय आंकड़ों के अनुसार जहां पिछले वर्ष 2018 तक देहरादून की लाइसेंसी दुकानों से प्रतिमाह 44 करोड़ रुपये का राजस्व सरकार को प्राप्त हो रहा था वह इस नए वित्तीय वर्ष में घटकर मात्र 10 करोड़ प्रतिमाह रह गया है। वहीं जानकारों की मानें तो प्रदेश में इस नए वित्तीय वर्ष में भारी संख्या में शराब की दुकानों के आवंटित न होने से विभाग में खलबली मची हुई है।

शराब की दुकानों का आवंटन मझधार में लटका

इस समस्या के समाधान में उच्च आलाधिकारियों का विभाग के निचले अधिकारियों के साथ तालमेल व सामंजस्य की कमी भी सामने आ रही है। जिससे उत्तराखंड में पहली बार शराब की दुकानों का आवंटन मझधार में लटका हुआ नजर आ रहा है। जानकारों की मानें तो ऐसे में विभाग के मझौले अधिकारी जिनके द्वारा जिले में दुकानों को आवंटित कराने से लेकर उनको चलाने तक की जिम्मेदारी होती है उनकी कार्यप्रणाली पर भी कई तरह के गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

उधर प्रदेशभर में अब तक 289 देशी-विदेशी शराब की दुकानें आवंटित न होने के चलते 920 करोड़ के घाटे पर आबकारी आयुक्त दीपेंद्र चौधरी का मानना है कि भले ही इन दुकानों को खरीदार न मिले लेकिन इस वर्ष लाइसेंस पर बढ़ाये गए 20 फीसदी भार (टैक्स) पर कोई रियायत नहीं दी जाएगी।

उत्तराखंड आबकारी आयुक्त दीपेंद्र चौधरी के अनुसार सभी सम्बंधित अधिकारियों के प्रयासों से बची हुई दुकानों को आवंटित करने का कार्य गति पर है। राज्यभर में आबकारी विभाग की लाइसेंस दुकानों की संख्या कुल 617 है। इनमें से सबसे ज्यादा बिक्री करने वाली आधी दुकानें 20 फीसदी अतिरिक्त नए अधिभार (टैक्स) लगते ही आराम से आवंटित हो चुकी हैं, लेकिन पहले से घाटे के बोझ तले चल रहीं बाकी दुकानों को चलाने का जोखिम कोई लेना नहीं चाह रहा है।

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