नई दिल्ली । नोटबंदी के बाद हुई बदइंतजामी पर समाज के एक वर्ग में भले आक्रोश हो, किन्तु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के इस पफैसले पर देश के 87 प्रतिशत लोग उसके साथ हैं।
बिजनेस वर्ल्ड , हफिंगटन पोस्ट और सी-वोटर के सर्वे के अनुसार शहर और गांव, युवा और बुजुर्ग सभी सरकार के इस कदम का समर्थन कर रहे हैं। यह सर्वे 21 नवम्बर को 252 संसदीय क्षेत्रों में किया गया। इस सर्वे से इस बात का भी अंदाजा होता है कि सरकार का यह फैसला राजनीतिक तौर पर उसके लिए कैसे समय का संकेत करता है। जब लोगों से यह पूछा गया कि क्या नोटबंदी के कारण सरकार के वोटों में इजाफा होगा, तो 70 फीसदी ने कहा कि सरकार के इस फैसले के कारण अगले चुनाव में भाजपा को फायदा मिलेगा। सर्वे के मुताबिक 87 फीसदी लोगों का कहना है कि कालेधन रखने वालों को इस क्रांतिकारी कदम से सबसे बड़ा झटका लगा है। 85 फीसदी लोगों ने कहा कि नोट बंद होने से परेशानी तो है लेकिन अघोषित धन को बाहर निकालने के लिए यह जरूरी था। वहीं, 16 फीसदी लोगों ने कहा कि इससे अमीर और गरीब, दोनों ही समान रूप से प्रभावित हुए हैं।
ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों के लोग सरकार के इस फैसले से थोड़े कम उत्घ्साही थे। 22 फीसदी लोगों ने पीएम मोदी के फैसले पर सकारात्घ्मक प्रतिक्रिया दी। 63 फीसदी लोगों ने इसे अच्घ्छा बताया, 24 फीसदी लोगों ने इसे ठीक कहा जबकि 7 फीसदी लोगों ने इसे खराब बताया। नोटबंदी से सबसे ज्घ्यादा किस पर असर हुआ, इस सवाल पर लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी। 44 फीसदी लोगों ने कहा कि गरीबों की तुलना में अमीर ज्यादा प्रभावित हुए हैं। वहीं, 36 फीसदी लोगों ने कहा कि इस फैसले से गरीब सबसे ज्यादा परेशान हुए हैं। 13 फीसदी लोगों ने कहा कि सरकार का यह फैसला एक असहनीय आपदा के समान है। 34 फीसदी लोगों ने कहा कि इससे उन्हें कोई समस्घ्या नहीं हुई। 66 फीसदी लोगों ने कहा कि यह एक अच्घ्छा कदम है और इसे बहुत अच्घ्छी तरह से लागू किया गया।