186 villages of Pauri district
देहरादून। 186 villages of Pauri district गढ़वाल के मंडल मुख्यालय वाले पौड़ी जिले में पिछले सात वर्षों के भीतर 298 गांवों से पलायन हुआ है। इनमें से 186 गांव पूरी तरह से खाली हो गए हैं। जबकि 112 में 50 फीसद से ज्यादा पलायन जारी है। आजीविका और रोजगार की कमी के चलते पलायन बढ़ा है।
पलायन आयोग ने इसकी विस्तृत रिपोर्ट मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंप दी है। पलायन आयोग ने पहले प्रदेश के 13 जनपदों का सर्वे कर मई माह में सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बाद ईको टूरिज्म पर एक रिपोर्ट सौंपी थी। सरकार ने गांव, ब्लॉक और जिलेवार रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे।
इस पर सबसे ज्यादा पलायन प्रभावित गांव पौड़ी से शुरुआत की गई। छह माह पौड़ी में आयोग की टीमें विस्तृत सर्वे कर रही थीं। रिपोर्ट तैयार होने के बाद मुख्यमंत्री को सौंप दी गई है। पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी के अनुसार पौड़ी के कुल 3447 गांवों में से 298 में पलायन हुआ है। 2149 गांवों में पलायन कैसे रोका जाए, इसके समाधान के साथ रिपोर्ट सौंपी गई है।
खासकर शेष गांव में 70 फीसद लोग मजदूरी और कृषि पर आजीविका चला रहे हैं। इनकी मासिक आय पांच हजार प्रति परिवार है। हालांकि, यह सुखद है कि खेतीबाड़ी छोड़ लोग लघु उद्योग से जुड़ रहे हैं। जिले में 65 सौ लोग लघु उद्योग से जुड़े हैं। जनपद के खिर्सू, दुगड्डा और थलीसैंण ब्लॉक की स्थिति बेहतर हैं।
पौड़ी के बाद सबसे ज्यादा पलायन वाला जिला अल्मोड़ा
पोखड़ा, नैनीडांडा, जयहरीखाल, रिखणीखाल आदि विकास खंड में सबसे ज्यादा पलायन हुआ है। पौड़ी के बाद सबसे ज्यादा पलायन वाला जिला अल्मोड़ा है। इसके बाद आयोग ने अल्मोड़ा में विस्तृत सर्वे करने की योजना बनाई है। मार्च 2019 तक इसकी रिपोर्ट तैयार करने की बात कही गई।
इसके लिए 20 लोगों की टीमें बनाई गई हैं। बढ़ते पलायन की स्थिति यह है कि कई गांव में स्वभाविक मौत के बाद कंधा लगाने को पुरुष नहीं मिलते हैं। दूसरे गांव से फोन करके अंतिम यात्रा के लिए लोग बुलाए जाते हैं।
यही नहीं श्मशान तक महिलाएं लकड़ी पहुंचाने का काम करती हैं। नैनीडांडा ब्लॉक में यह स्थिति सबसे ज्यादा देखने को मिली हैं। कुछ गांव में सिर्फ एक से दो बुजुर्ग लोग ही निवास करते हैं।
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