आयुर्वेदिक चिकित्सकों का जारी रहा क्रमिक अनशन

देहरादून,। राजकीय आयुर्वेद  एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ का अपनी मांगों को लेकर क्रमिक अनशन एवं धरना जारी रखा है और प्रदर्शन करते हुए धरना दिया। यहां धरना स्थल पर आंदोलनरत चिकित्सकों का कहना है कि आयुर्वेदिक चिकित्सक विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य के अतिदुर्गम व दुर्गम स्थानों में निरंतर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जब इन चिकित्सकों को एनपीए व डीएसीपी जैसे लाभ देने की बात आती है तो राज्य के वित्तीय हालात ठीक न होने का हवाला दिया जाता है। यह आयुर्वेदिक चिकित्सकों के साथ भेदभाव को दर्शाता है। मुख्यमंत्री द्वारा आयुर्वेदिक चिकित्सा संवर्ग के द्विवार्षिक सम्मेलन में मौखिक सहमति भी दी थी। आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा मांग की जा रही है कि उन्हें एनपीए, डीएसीपी का लाभ दिया जाये। संवर्ग के निदेशक सहित विभागीय ढांचे का पुनर्गठन किया जाये। विभागीय प्रोन्नतियां, संयुक्त निदेशक के रिक्त पदों पर नियुक्तियां की जाये। एसीपी का लाभ दिया जाये। स्नातकोत्तर भत्ता चिकित्साधिकारियों को स्नातकोत्तर प्रशिक्षण दिया जाये। चिकित्सा प्रमाण पत्रों को प्रति हस्ताक्षरण किया जाये।

वक्ताओं ने कहा कि आयुष चिकित्साधिकारियों की मांगों पर त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित की जानी चाहिए, लेकिन इसके लिए बार बार आश्वासन दिये जाने पर भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है जिससे आयुष चिकित्साधिकारियों में व्यापक रोष बना हुआ है। उनका कहना है कि पिछले वर्ष दिसम्बर माह में मुख्यमंत्री की घोषणा का शासनादेश आज तक नहीं हो पाया है जो चिंता का विषय है। आयुष चिकित्साधिकारियों को एनपीए व डीएसीपी का दिया जायेगा पर आज तक कार्यवाही नहीं हो पाई है। उनका कहना है कि संवर्ग के निदेशक सहित विभागीय ढांचे का पुनर्गठन आज तक नहीं किया गया है, उनका कहना है कि लगातार आश्वासनों के बाद भी जायज मांगों पर कार्यवाही नहीं होने से आयुष चिकित्साधिकारी आंदोलन रत है। धरने पर डा. के एस नपलच्याल, डा.के.के. सिंह, डा. पी.पी. उनियाल, डा. नवीन जोशी, डा. मयंक, डा.रणजीत रावत, डा. राजेश तोमर, डा.वन्दना डंगवाल, डा. विनोद धोनी आदि बैठे।